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This Article is From Jan 28, 2022

प्रयागराज के कोचिंग हब में बरसीं थीं लाठियां, जानिए कैसा है वहां के छात्रों का संघर्ष

पांच सालों में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है. सरकार ने अब तो बेरोजगारी रिपोर्ट देना और बेरोजगारी दर बताना बंद कर दिया है. रोजगार के नाम पर यह सरकार कुछ नहीं कर रही.

प्राइवेटाइजेशन कर सरकार बच्चों का भविष्य चौपट कर रही है.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से आई कुछ तस्वीरें डराने वाली हैं. इनमें पुलिस छात्रों के कमरों में तोड़फोड़ करती नजर आ रही है. यह तस्वीरें प्रयागराज के कोचिंग हब छोटा बघरा में सामने आई थीं. आलोक पांडे ने यहां पर छात्रों से बातचीत की और उनके संघर्ष के बारे में जाना.

आजमगढ़ के भोलू यादव ने बताया कि वे यूपीएसआई परीक्षा यानी उत्तर प्रदेश पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी करते है. इस परीक्षा के जरिए सब इंस्पेक्टर और दरोगा पद पर भर्ती होती है. भोलू दरोगा बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यूपीएसआई की परीक्षा 2021 में हुई थी और अब अगली परीक्षा चार साल बाद होगी. इस बीचे वे दूसरी परीक्षाओं की तैयारी करेंगे. लेखपाल और यूपीपीएसई परीक्षा की तैयारी करेंगे. जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए सरकारी नौकरी क्यों जरूरी है तो उन्होंने बताया कि अगर घर में किसी की सरकारी नौकरी है तो घर की आर्थिक स्थिति बेहतर, खाने-पीने की व्यवस्था ठीक हो जाती है. उन्होंने बताया कि उनके पिता खेती करते हैं. कोचिंग के लिए प्रयागराज में रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें एक महीने में 30 से 35 हजार रुपये खर्च करने होते हैं. नौकरी को लेकर नेताओं द्वारा जो घोषणा की जाती है उसपर भोलू ने कहा कि नौकरी के लिए बार-बार नोटिफिकेशन को बदला सही नहीं है. परीक्षा की तिथि को बार-बार बदलने से छात्रों को परेशानी होती है. जब चुनाव आता है नेता वादा करते हैं. हर बार हम छात्रों के साथ ऐसा ही होता आया है. अगर इस बार छात्र सोच-समझकर वोट नहीं देंगे तो आगे खुद ही भुगतेगें.
वहीं दिल्ली से बीएड कर चुके आजमगढ़ के एक दूसरे छात्र विनीत यादव ने बताया कि उन्होंने यूपीटेट यानी उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा दी थी, परीक्षा देने के बाद पता चला कि पेपर आउट हो गया है. पेपर आउट से बहुत दुखी हुआ, फिर तैयारी की, फिर से यूपीटेट की परीक्षा दी, लेकिन इस बार पेपर ऐसे ही छाप दिया गया है. पेपर दिखाते हुए उन्होंने बताया कि प्रीवियस ईयर के पेपर को ही छापा गया है. राजनीतिक पार्टी से क्या चाहिए के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें रोजगार चाहिए. बेरोजगारी बढ़ गई. पांच सालों में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है. सरकार ने अब तो बेरोजगारी रिपोर्ट देना और बेरोजगारी दर बताना बंद कर दिया है. रोजगार के नाम पर यह सरकार कुछ नहीं कर रही.
वहीं गाजीपुर के हरिकृष्ण ने कहा कि घर से इतनी दूर आए हैं माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए. वो चाहते हैं कि हमें सरकारी नौकरी मिले. लेकिन ये सरकार सब कुछ प्राइवेट कर रही है. हमारे माता-पिता ने हमें सरकारी नौकरी के लिए इतनी दूर पढ़ने के लिए भेज रहे हैं. प्राइवेटाइजेशन कर सरकार बच्चों का भविष्य चौपट कर रही है.

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