
PHD Admission New Rule: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने पीएचडी प्रोग्राम को और सख्त बनाने की तैयारी कर ली है. बैंगलोर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति केआर वेणुगोपाल की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स ने जुलाई 2025 में एआईसीटीई को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसका मकसद है कि भारत में तकनीकी शिक्षा और रिसर्च की क्वालिटी को इंटरनेशनल लेवल पर बेहतर बनाया जा सके. अब रिसर्च स्कॉलर्स को अपनी थीसिस के साथ हाई क्वालिटी वाले जर्नल्स में रिसर्च आर्टिकल पब्लिश करने होंगे और एआई के उपयोग पर भी स्पष्ट गाइडलाइन जारी की गई है.
रिसर्च पब्लिकेशन और नई शर्तें
नई सिफारिशों के अनुसार, रिसर्च स्कॉलर्स को अपनी थीसिस से जुड़े आर्टिकल्स को पीयर रिव्यू जर्नल्स और कॉन्फ्रेंस में फर्स्ट और कॉरेस्पॉन्डिंग ऑथर के रूप में प्रकाशित करना होगा. खास बात ये है कि अगर कोई स्कॉलर अपनी थीसिस को स्कोपस इंडेक्स्ड क्यू1 जर्नल में प्रकाशित करता है तो वो सिर्फ ढाई साल में थीसिस सबमिट करने के पात्र होंगे. टास्क फोर्स का मानना है कि इससे छात्रों में रिसर्च को लेकर गंभीरता बढ़ेगी और वे भविष्य में दूसरों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकेंगे.
एआई के इस्तेमाल पर नियम
टास्क फोर्स ने ये भी स्पष्ट किया है कि रिसर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं होगा. लेकिन इसका उपयोग थीसिस में 20% से कम होना चाहिए. साथ ही एआई का इस्तेमाल जहां जहां हुआ है, वहां डिस्क्लेमर और सही रिफरेंस देना जरूरी होगा. ठीक वैसे ही जैसे साहित्यिक चोरी (plagiarism) पर डिसक्लेमर दिया जाता है. वेणुगोपाल का कहना है कि एआई आज शिक्षा और शोध का अहम टूल है, लेकिन इसे नियंत्रित और ट्रांसपेरेंट तरीके से ही इस्तेमाल करना चाहिए.
एआईसीटीई क्या है?
एआईसीटीई (AICTE) भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 1945 में की गई थी. इसका मुख्य काम देश में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा को रेगुलेट और बढ़ावा देना है. इंजीनियरिंग कॉलेज, मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, फार्मेसी, आर्किटेक्चर और अन्य तकनीकी संस्थानों को मान्यता देना और उनकी गुणवत्ता बनाए रखना इसी संस्था की जिम्मेदारी है. एआईसीटीई समय-समय पर नए नियम और नीतियां बनाकर शिक्षा को समयानुकूल और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास करता है.
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