'द इकोनॉमिस्ट' ने मोदी सरकार की आलोचना की है. (फाइल फोटो)
खास बातें
- 'द इकोनॉमिस्ट' ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
- प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी पर बोला हमला
- लिखा- डरे हुए हैं भारत के 20 करोड़ मुसलमान
नई दिल्ली: मशहूर मैगजीन 'द इकोनॉमिस्ट' (The Economist) के नए कवर पेज पर विवाद शुरू हो गया है. मैगजीन ने नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर मोदी सरकार पर हमला बोला है. कवर पेज पर कंटीली तारों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) का चुनाव चिन्ह 'कमल का फूल' नजर आ रहा है. इसके ऊपर लिखा है, 'असहिष्णु भारत. कैसे मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को जोखिम में डाल रहे हैं.'
'द इकोनॉमिस्ट' ने गुरुवार को कवर पेज ट्वीट करते हुए लिखा, 'कैसे भारत के प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं.' आर्टिकल के टाइटल में पीएम नरेंद्र मोदी पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में विभाजन का आरोप लगाया है. उसमें लिखा है कि भारत के 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के निर्माण में जुटे हैं. 80 के दशक में राम मंदिर के लिए आंदोलन के साथ बीजेपी की शुरूआत पर चर्चा करते हुए लेख में तर्क दिया गया है कि संभावित तौर पर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को धर्म और राष्ट्रीय पहचान के आधार पर कथित विभाजन से फायदा पहुंचा है.
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NRC के मुद्दे पर लेख में लिखा है कि अवैध शरणार्थियों की पहचान करते हुए असल भारतीयों के लिए रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया से 130 करोड़ भारतीय भी प्रभावित होंगे. ये कई साल तक चलेगा. लिस्ट तैयार होने के बाद इसको चुनौती और फिर से दुरुस्त करने का भी सिलसिला चलेगा. मैगजीन ने लिखा है कि इस तरह के मुद्दों को आगे कर अन्य मुद्दों जैसे- अर्थव्यवस्था आदि पर जनता को भटकाया जा रहा है. बीजेपी की जीत के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है.
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कई बीजेपी नेताओं ने ट्वीट कर मैगजीन के कवर पेज की निंदा की है. बीजेपी नेता विजय चौथाईवाले ने मैगजीन को अहंकारी और औपनिवेशिक मानसिकता का बताया है. बताते चलें कि 'द इकोनॉमिस्ट' ग्रुप की इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) ने ही इसी हफ्ते 'ग्लोबल डेमोक्रेसी इंडेक्स' की लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में भारत 10 स्थान गिरकर 51वीं पोजिशन पर आ गया है. सूची के मुताबिक, 2018 में भारत के अंक 7.23 थे, जो 2019 में घटकर 6.90 रह गए हैं.
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