कोर्ट में सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर गाइडलाइन: जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तय की है कि सरकारी अधिकारियों को अदालतों के सामने पेश होने के लिए कैसे बुलाया जाना चाहिए.

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पूर्व एडीजी सिद्धार्थ लूथरा.
नई दिल्ली:

देश भर के अदालतों द्वारा सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Govt Officials Appearance In Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर गाइडलाइन तैयार की है. अदालत ने अपने फैसले में कहा  यूपी के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की शक्ति लागू नहीं की जा सकती. ऐसे अधिकारियों को बुलाने के हाईकोर्ट के ऐसे आदेशों की प्रक्रिया संविधान द्वारा परिकल्पित योजना के विपरीत है.

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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को किया आगाह

सरकारी अधिकारियों को अदालतों के सामने पेश होने के लिए कैसे बुलाया जाना चाहिए, इस पर विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) सर्वोच्च अदालत ने तय की है. 

देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी हाईकोर्ट को आगाह किया कि वे सरकारी अधिकारियों को अपमानित न करें या उनकी पोशाक और दिखावे पर टिप्पणी न करें.  

दरअसल 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि असाधारण मामलों में ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए.

सरकारी अफसरों की पेशी से जुड़ा मामला

 दरअसल मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश का पालन न करने पर उत्तर प्रदेश के दो IAS अधिकारी शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने का निर्देश देने से जुड़ा हुआ है. 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया  था. इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल कर विचार के लिए कुछ सुझाव दिए थे. अदालत ने SOP को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

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