पवन खेड़ा पर दर्ज सभी FIR हजरतगंज थाने में ट्रांसफर, SC ने 10 अप्रैल तक बढ़ाई अंतरिम जमानत

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर आरोप लगाया गया है कि उन्‍होंने जान-बूझकर पीएम मोदी का अपमान किया. बीजेपी के अनुसार, खेड़ा ने जानबूझकर पीएम मोदी के पिता का नाम गलत ल‍िया. इसके बाद गलती सुधारने के बजाय उन्होंने बात को हंसी में टाल द‍िया.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर असम में एक और यूपी में 2 समेत कुल 3 एफआईआर दर्ज हुई हैं.
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और उनके पिता पर अमर्यादित टिप्पणी मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा (Pawan Khera) पर दर्ज सभी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज थाने में ट्रांसफर किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 मार्च) को यह फैसला सुनाया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने खेड़ा को दी गई अंतरिम जमानत को 10 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. साथ ही कांग्रेस नेता को लखनऊ की कोर्ट में नियमित ज़मानत की अर्जी दाखिल करने को भी कहा गया है.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर असम में एक और यूपी में 2 समेत कुल 3 एफआईआर दर्ज हुई हैं. असम पुलिस ने 23 फरवरी को उनको दिल्ली में गिरफ्तार किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी तरफ से अपने बयान पर माफी मांगी गई थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तारी वाले दिन ही अंतरिम जमानत मिल गई थी.

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा- 'हमें एफआईआर को क्लब करने में कोई समस्या नहीं है. इसे असम में जोड़ दिया जाए और असम पुलिस को मामले की जांच करने दें.' इसपर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- 'पहली एफआईआर लखनऊ में हुई है. प्रथा यह है कि इसे उस स्थान से जोड़ दिया जाए, जहां पहली एफआईआर दर्ज की गई थी.'

Advertisement

इससे पहले असम पुलिस और यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. असम पुलिस ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत देने के फैसले को रद्द करने की मांग की. पुलिस ने तर्क दिया कि अपराध करने के बाद कोई माफी नहीं मांगी जा सकती है. केवल उनके वकील ने कहा है कि पवन खेड़ा ने माफी मांगी है. जबकि, खेड़ा ने खुद माफी नहीं मांगी है. माफी मांगने की इस अदालत में की गई बात बिना किसी वास्तविक पछतावे या पश्चाताप के एक सुरक्षात्मक आदेश प्राप्त करने की रणनीति प्रतीत होती है.

Advertisement

अभियोजन पक्ष यानी उत्तर प्रदेश और असम पुलिस के जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि दावे के मुताबिक, पवन खेड़ा ने माफी नहीं मांगी थी. ये एक अपराधिक कृत्य था. इसमें माफी का कोई तुक नहीं होता. कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद भी उस राजनीतिक पार्टी ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया. इनको अंतरिम जमानत या संरक्षण खत्म किया जाना चाहिए. कानून में मौजूद कई विकल्पों में से ये अपने लिए समुचित विकल्प अपना कर ये अपना बचाव कर सकते हैं. 

Advertisement

इस पर CJI ने कहा, 'हम उनका संरक्षण बढ़ाएंगे और उन्हें नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का समय देंगे.' सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता ने माफी मांगी है, लेकिन याचिकाकर्ता ने माफी नहीं मांगी है.' सीजेआई ने कहा, 'हम याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मांगी गई माफी को मानते हैं.' सॉलिसिटर जनरल ने कहा- 'पीएम के रूप में एक संवैधानिक गणमान्य व्यक्ति को बदनाम किया गया है, अपमानजनक टिप्पणी की गई है. अंतरिम राहत को वापस लें. पवन खेड़ा सीआरपीसी के तहत राहत मांगें.'

Advertisement

पवन खेड़ा पर क्‍या आरोप है?
एफआईआर में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर आरोप लगाया गया है कि उन्‍होंने जान-बूझकर पीएम मोदी का अपमान किया. बीजेपी के अनुसार, खेड़ा ने जानबूझकर पीएम मोदी के पिता का नाम गलत ल‍िया. इसके बाद गलती सुधारने के बजाय उन्होंने बात को हंसी में टाल द‍िया.

ये भी पढ़ें:-

सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन और विपक्षी नेताओं के बीच हुई तकरार

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बताएं कि ‘ठग' की गिरफ्तारी मामले में किसका इस्तीफा होगा : कांग्रेस

Featured Video Of The Day
Delhi Brahmpuri News: दिल्ली के Brahmpuri इलाके में 75 फीसदी हिंदू बेच रहे घर! | News AT 8