- सुप्रीम कोर्ट में सौतेली मां को पेंशन लाभ के दायरे में शामिल किए जाने का मामला विचाराधीन है.
- भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी के मामले में सौतेली मां को पेंशन देने से इंकार पर सवाल उठाए गए.
- जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मां की परिभाषा में सौतेली या गोद लेने वाली मां को भी शामिल किया जाना चाहिए.
पेंशन बेनिफिट यानि की किसी कर्मचारी के बाद उनके आश्रित को नियोक्ता द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद. अभी तक नियम यह है कि पेंशन के दायरे में कर्मचारी की पत्नी, माता-पिता और बच्चे शामिल होते हैं. लेकिन पेंशन लाभ के दायरे में सौतेली मां को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इस जटिल विषय पर विचार करने को तैयार हुआ.
भारतीय वायुसेना के अधिकारी से जुड़ा मामला
दरअसल यह मामला भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना से पूछा कि वह एक सौतेली माँ को पेंशन लाभ देने से क्यों इनकार कर रही है? बताया गया कि सौतेली मां ने मृतक अधिकारी-पुत्र को 6 वर्ष की आयु से पाला है.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- सौतेली मां को पेंशन लाभ को क्यों ना शामिल किया जाए?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि दो हफ्ते में इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करें. हम इस पर सुनवाई करेंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सौतेली माँ या गोद लेने वाली माँ को पेंशन लाभों में क्यों ना शामिल किया जाए?
इसके लिए उन्होंने एक मामले में दी गई अपनी दलील का जिक्र किया. उसमें उन्होंने कहा था कि "माँ" में विशिष्ट लाभों में सौतेली या गोद लेने देने वाली माँ भी शामिल होगी. क्यों न सौतेली मां या गोद लेने वाली माँ को पेंशन लाभों में शामिल किया जाए?
सौतेली और गोद लेने वाली मां को भी मिले मां का दर्जा
जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि मां को जैविक माँ तक सीमित करने की जरूरत नहीं है. इसको थोड़ा लचीला किया जा सकता है. यहां कोर्ट की मंशा यह है की मां के साथ पेंशन बेनिफिट के मामलों में सौतेली और गोद लेने वाली मां को भी मां का दर्जा दिया जा सकता है.
उन्होंने कहा नियमों में कुछ बदलाव होने चाहिए जो मां की परिभाषा के लिए कुछ फ्लैक्सिबिलिटी यानी उदारता की अनुमति दें, जिससे माँ के साथ सौतेली मां या गोद लेने वाली मां को भी मामले के तथ्यों के आधार पर पेंशन लाभों में शामिल किया जा सके.
अभी जैविक मां यानी को जननी को ही मां की मान्यता
वहीं इस मामले पर केंद्र सरकार ने कहा कि इस अदालत के कई फैसलों में कहा गया है कि माँ केवल बच्चे को पैदा करने वाली को ही माना जाएगा. यदि विधायिका को लगता है कि सौतेली माँ को भी माँ का दर्जा दिया जाए तो वो ऐसा कर सकती है. फिलहाल नियम बहुत स्पष्ट हैं कि केवल जैविक मां यानी जननी को ही "मां" की मान्यता मिलती है.