यूएपीए कानून एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. सोमवार को UAPA की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर 2022 के लिए सूचीबद्ध किया गया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर पहले से दाखिल याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा. UAPA की वैधता को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं पहले ही लंबित हैं. इनमें से एक याचिका त्रिपुरा मामले से संबंधित है. नई याचिका में दो पत्रकार हैं जो सीधे प्रभावित हुए हैं.
फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि आतंकवाद विरोधी कानून को राजनीतिक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. ये असहमति की आवाज को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. UAPA के प्रावधान मनमाने और विकृत हैं, ये प्रावधान लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति पर हमला करते हैं.
UAPA यानी का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है. इसके तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या संदिग्ध लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल हो या फिर आतंकी गतिविधि के लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.
ये भी पढ़ें:-
राजस्थान की रार, संकट में सरकार : गहलोत गुट ने रखी ये 3 शर्तें, अब दिल्ली में सुलझेगा 'CM संकट'
अमेरिकी मीडिया को भारतीय विदेश एस जयशंकर ने लगाई फटकार कहा- भारत को लेकर कवरेज में हैं "पूर्वाग्रह"