सुप्रीम कोर्ट ने आज भारतीय चुनाव आयोग (EC) को अगले साल 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में चुनाव कराने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसले का हिस्सा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जितना जल्दी हो सके दिया जाए और वहां पर चुनाव कराए जाएं. जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द स्टेटहुड वापस किया जाए. लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.
अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था...
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है. शीर्ष अदालत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा.
"राष्ट्रपति की शक्ति के इस्तेमाल को वैध मानते हैं"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है. उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर (भी) लागू हो सकते हैं. हम संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के इस्तेमाल को वैध मानते हैं." उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना और यह अनुच्छेद एक एवं 370 से स्पष्ट है. उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को स्थायी निकाय बनाने का इरादा कभी नहीं था."
30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 अंतरिम व्यवस्था थी. उन्होंने कहा, "हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए. हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए."
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए पांच अगस्त 2019 के केंद्र के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सर्वसम्मत, लेकिन तीन अलग-अलग फैसले सुनाए.
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