Mental Health: हर स्थान का मन पर अलग प्रभाव होता है. आप अपने घर में भी अलग-अलग कमरों में अलग महसूस करते हैं. जिस स्थान पर भजन, कीर्तन या ध्यान हुआ हो, वहां की तरंगें मन को शांत करती हैं. ऐसा स्थान स्वाभाविक रूप से सकारात्मक ऊर्जा देता है. दिन के अलग-अलग समय और वर्ष के अलग-अलग मौसम भी मन पर प्रभाव डालते हैं. जो भोजन हम ग्रहण करते हैं, उसका प्रभाव कई दिनों तक बना रहता है. सात्त्विक भोजन मन को हल्का और प्रसन्न बनाता है, जबकि भारी या तामसिक भोजन अस्थिरता लाता है. हमारे कर्म और बीते अनुभव मन पर अपनी छाप छोड़ते हैं. सजगता, जागरूकता, ज्ञान और ध्यान ये सभी पुराने संस्कारों को मिटाने में सहायक हैं. जिन लोगों और घटनाओं के साथ हम जुड़े रहते हैं, वे हमारे मन की दिशा तय करते हैं. कभी कुछ लोगों की संगति में मन सहज और शांत रहता है और कुछ के साथ वह बेचैन हो जाता है.
इन सबका प्रभाव हमारे जीवन और मन पर पड़ता है, परंतु यह समझना जरूरी है कि आत्मा इन सब से परे है. जब ज्ञान बढ़ता है, हम इन तत्त्वों को प्रभावित करना सीख जाते हैं.
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मन को प्रभावित करने वाले तत्व
कुल मिलाकर कुछ तत्त्व हमारे मन को प्रभावित करते हैं, जिनमें शामिल हैं स्थान, काल, आहार, संस्कार, संगति और कर्म.
अस्थिरता 5 प्रकार की होती है-
1. स्थानगत अस्थिरता
कभी-कभी किसी विशेष जगह, गली या घर में मन बेचैन हो जाता है. स्थान बदलते ही राहत मिलती है. भजन-कीर्तन, बच्चों की हंसी-खेल या सकारात्मक ध्वनियां उस जगह की तरंगें बदल देती हैं. जहां गान और जप होता है, वहां की अस्थिरता मिट जाती है.
2. शारीरिक अस्थिरता
गलत भोजन, अनियमित खानपान, व्यायाम की कमी या बहुत ज्यादा काम, शरीर में अस्थिरता लाते हैं. इसका उपाय है नियमित व्यायाम, कार्य में संतुलन और एक-दो दिन फलाहार या रसाहार रखना.
3. मानसिक अस्थिरता
महत्त्वाकांक्षा, तीव्र विचार, राग-द्वेष मानसिक अस्थिरता के कारण हैं. इसका एक ही उपाय है ज्ञान. जीवन को व्यापक दृष्टिकोण से देखना, आत्मा का बोध और यह समझना कि सब कुछ नश्वर है यह जानना मानसिक अस्थिरता को शांत करता है. मृत्यु और जीवन, दोनों के प्रति जागरूकता, आत्मविश्वास और ईश्वर पर भरोसा - मन को स्थिर करते हैं.
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4. भावनात्मक अस्थिरता
इसे दूर करने में केवल ज्ञान पर्याप्त नहीं होता. सुदर्शन क्रिया जैसी साधना भावनात्मक अस्थिरता को मिटा देती है. गुरु या किसी ज्ञानी संत की उपस्थिति भी भावनाओं को संतुलित करती है.
5. आत्मिक अस्थिरता
यह दुर्लभ है. जब सब कुछ व्यर्थ और शून्य प्रतीत हो, तो समझो कि तुम बहुत भाग्यशाली हो. इससे भागो मत, इसे अपनाओ! यही आत्मिक बेचैनी सच्ची प्रार्थना को जन्म देती है. यही जीवन में चमत्कार और पूर्णता लाती है. यह वही तड़प है जो ईश्वर की ओर ले जाती है. सत्संग और किसी आत्मज्ञानी की उपस्थिति इस बेचैनी को शांति में बदल देती है. ईश्वर को आकाश में मत खोजो, उसे हर आंख में हर प्राणी में हर पेड़-पौधे में और स्वयं अपने भीतर देखो. केवल देवता ही देवता की उपासना कर सकते हैं अर्थात जब तुम अपनी दिव्यता को पहचानते हो, तभी सच्ची भक्ति संभव होती है.
सजगता बढ़ने से बढ़ जाती है सत्य की निकटता
जितनी ज्यादा तुम्हारी सजगता बढ़ती है, उतना तुम सत्य के निकट आते हो. इसके लिए जरूरी है प्राणशक्ति का विस्तार. सात्त्विक भोजन, प्राणायाम, ध्यान, मौन साधना, सुदर्शन क्रिया, निष्काम सेवा करके प्राण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. इन सभी का समन्वय ही यज्ञ है जीवन का सर्वोच्च समर्पण.
चिंतित मन को शांत करने के लिए ध्यान से बढ़कर और कुछ नहीं है. ध्यान को सहज बनाने के लिए मैं तीन सिद्धांत बताता हूं:
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पहला अचाह
जब भी आप ध्यान में बैठें, कुछ समय के लिए अपनी सारी इच्छाओं को एक ओर रख दें. उन्हें बाद में फिर से ले सकते हैं, पर उस समय बस उनसे मुक्त हो जाइए.
दूसरा अप्रयत्न
ध्यान करने का अर्थ है कुछ करना नहीं. इसमें न तो ध्यान केंद्रित करना है, न विचारों को भगाना, न कोई प्रयास करना है. बस सब कुछ छोड़ देना है.
तीसरा अकिन्चन
हम अपने ऊपर कई पहचानें लगा लेते हैं, मैं बुद्धिमान हूं, मैं मूर्ख हूं, मैं धनी हूं, मैं गरीब हूं, मैं धार्मिक हूं, मैं पापी हूं. जब आप ध्यान में बैठें, इन सभी पहचानों को छोड़ दें. उन क्षणों के लिए बस ‘कोई नहीं' बन जाइए.
जब आप कहते हैं मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैं कुछ नहीं करता, मैं कुछ नहीं हूं तब मन स्वतः मुक्त हो जाता है. आप उस सुंदर शून्यता के अनुभव में उतर जाते हैं और वही शून्य सबका आधार है.
ध्यान का सबसे सही समय (Best Time to Meditate)
ध्यान का सर्वश्रेष्ठ समय है भोजन से पहले या फिर भोजन के दो से तीन घंटे बाद. भोजन करने के बाद पाचन क्रिया तेज हो जाती है जबकि ध्यान में शरीर की गति धीमी पड़ती है. अगर आप भोजन के तुरंत बाद ध्यान करेंगे तो या तो नींद आ जाएगी या भोजन ठीक से पचेगा नहीं. सुबह का समय सबसे उत्तम है. नींद से उठकर स्नान करके या तरोताजा होकर ध्यान करें. दोपहर में भोजन से पहले भी ध्यान किया जा सकता है. मूल यही है शरीर हल्का हो और मन जाग्रत हो.
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ध्यान की सरल विधि
- आंखें बंद रखें और शरीर को ढीला छोड़ दें.
- गहरी श्वास भरें और छोड़ते समय कंधों को पूरी तरह ढीला कर दें.
- धीरे-धीरे श्वास लें और कंधों को कानों की ओर उठाएं. फिर श्वास छोड़ते समय उन्हें ढीला छोड़ दें. इसे एक बार और दोहराएं.
- भुजाएं ढीली रखें और चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान ले आएं, भले ही शुरू में बनावटी लगे, उसे रहने दें.
ध्यान में गहराई लाने के उपाय (Ways to Deepen Your Meditation)
अगर ध्यान में अच्छे अनुभव न हों, तो ज्यादा सेवा करें. जब आप किसी को राहत या स्वतंत्रता का अनुभव कराते हैं, तो उससे प्राप्त पुण्य और आशीर्वाद आपके ध्यान को गहन बना देते हैं.
ध्यान से पहले कुछ प्राणायाम करना भी जरूरी है, जैसे नाड़ी शोधन. श्वास शरीर और मन के बीच का सेतु है. अगर मन पतंग है तो श्वास उसकी डोरी है. डोरी जितनी लंबी होगी, पतंग उतनी ऊंचाई पर जाएगी. सुदर्शन क्रिया जैसे श्वास अभ्यास भी ध्यान को गहन बनाने में सहायक होते हैं.
सहज समाधि, सरल और सहज ध्यान
कई लोग कहते हैं “मन को रोकना कठिन है, विचारों से मुक्त होना कठिन है.” ध्यान दरअसल कुछ करने का नाम नहीं है, बल्कि सहज होकर ठहरने का अनुभव है. इसके लिए हिमालय जाने, तपस्या करने या संन्यास लेने की जरूरत नहीं है. सही विधि जानने पर हर कोई ध्यान कर सकता है.
सबसे सरल उपाय है सहज समाधि ध्यान. ‘सहज' का अर्थ है स्वाभाविक, जिसमें कोई प्रयास नहीं है. इसमें साधक को एक व्यक्तिगत मन्त्र दिया जाता है, जिसे भीतर ही भीतर रखना होता है. जैसे बीज मिट्टी में दबकर जड़ें जमाता है और ऊपर फूलता है, वैसे ही यह ध्यान भीतर शक्ति और शांति को जगाता है.
नियमित ध्यान का प्रभाव
अगर कभी बेचैनी या घबराहट महसूस हो, तो थोड़े समय का ध्यान भी पर्याप्त है. सात मिनट का ध्यान भी तुरंत तनाव को दूर कर सकता है. बस आराम से बैठें, आंखें बंद करें और निर्देशों का अनुसरण करें, जैसे संगीत सुनते हैं.
जब आप नियमित रूप से ध्यान करते हैं तो गहरी विश्रांति मिलती है और साथ ही सतर्कता बनी रहती है. मन शांत होता है, एनर्जी बढ़ती है और अंतर्ज्ञान प्रकट होता है. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ध्यान से ब्रेन में धूसर पदार्थ (ग्रे मैटर) भी बढ़ता है. ध्यान से व्यक्ति ज्यादा प्रफुल्लित, सृजनशील और आनंदित बनता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)