Accept Your Child The Way They Are : बच्चों के साथ मजबूत रिश्ता बनाना न सिर्फ उनकी इमोशनल हेल्थ के लिए खास है, बल्कि यह उनके विकास में भी मुख्य भूमिका निभाता है. कई बार देखने में आया है कि कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों से उतना जुड़ा हुआ फील नहीं कर पाते, जितना वे चाहते थे. फिलहाल इस बात को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज का ये आर्टिकल उन लोगों के लिए बहुत काम का है जो अपने बच्चों के साथ एक स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग बनाना चाहते हैं और किन्हीं कारणों से अभी तक ऐसा नहीं कर पाए हैं. इस काम में हमारी हेल्प करेंगी रीरी त्रिवेदी, पेरेंटिंग कोच, रिग्रेशन थेरेपिस्ट. जो बताएंगीं बच्चों के साथ उम्र के हिसाब से कनेक्शन बनाने के तरीके, जिससे माता-पिता बच्चों से बेहतर संवाद कर सकते हैं और उनके साथ एक मजबूत रिश्ता स्थापित कर सकते हैं.
आपके बच्चे जैसे हैं वैसे स्वीकार करें (Accept Your Child The Way They Are)
1. बच्चों पर ना डालें दबाव
आजकल के माता-पिता बच्चों की भलाई के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उन्हें सबसे अच्छा जीवन देने की कोशिश करते हैं. लेकिन कई बार यह कोशिश बच्चों पर दबाव डालने जैसी हो जाती है. जो उनके मेंटल और इमोशनल प्रोग्रेस के लिए हानिकारक हो सकती है. रिरि त्रिवेदी के अनुसार अगर आपके बच्चे को डांसिंग, सिंगिंग या फिर ड्रॉइंग जिसमें भी इंटरेस्ट है उशे वो चीज को एंजॉए करने दीजिए. उन्हें क्लासेस में बांध कर स्ट्रक्चर्ड मत करिए.
ऐसे में बच्चे का मन कुछ ही समय बाद वहां से हट सकता है. बच्चों को उनके मन का करने के लिए प्रेरित करें ना कि उनके ऊपर दबाव डालें.
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2. बच्चों की तुलना ना करें
च्चों की तुलना दूसरों से करना बहुत सामान्य हो सकता है, लेकिन यह बच्चों के सेल्फ रिस्पेक्ट और सेल्फ कॉन्फिडेंस को डीपली इफेक्ट कर सकता है. ऐसे में बच्चा मोटिवेट नहीं होता बल्कि वो अपने आप को कम आंकने लगता है और फिर जिनसे आप उसकी तुलना करते हैं उनसे वो बच्चा नफरत करने लगता है चिढ़ने लगता है.
तो सभी पेरेंट्स इस बात का ध्यान रखें कि वे कभी भी अपने बच्चों की तुलना किसी और बच्चे से भूलकर भी नहीं करें. बच्चों की तुलना करना उन्हें मानसिक रूप से तोड़ सकता है.
3. बच्चों को जैसा वे हैं वैसा एक्सेप्ट करें
अपने बच्चे को किसी भी चीज में परफेक्शन के लिए पुश नहीं करना चाहिए वो जैसा है उसे वैसे ही एक्सेप्ट करें. रिरि त्रिवेदी के अनुसार कई बार माता पिता इस बात को समझ ही नहीं पाते कि बच्चा जैसा है वैसे ही एक्सेप्ट करने का क्या मतलब है? दरअसल यहां उनकी राय है कि बच्चे की हर वक्त तारीफ करना बिल्कुल सही नहीं है.
इससे वो वही काम करेगा जिसमें उसे तारीफ मिले. वो लोगों को खुश रखने की कोशिश करेगा और जहां उसे तारीफ नहीं मिलेगी वहां बच्चा निराश हो जाएगा. इसलिए अगर आपका बच्चा अपना काम खुद करता है तो उसकी तारीफ करने की बजाय ये बताएं कि ये सब उसका काम हैं और उससे सवाल जवाब करें ना कि तारीफ. जब बच्चों को ये फील होता है कि उनके माता-पिता उन्हें उनके जैसा ही स्वीकारते हैं, तो उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ता है और वे अपनी पूरी केपेसिटी से बढ़ पाते हैं.
4. प्रेरणा और समर्थन का सही तरीका
इंस्परेशन और सपोर्ट का मतलब यह नहीं है कि बच्चों पर किसी प्रकार का प्रेशर बनाया जाए. इस तरह मोटिवेट करें कि बच्चों को उनके गोल्स अचीव करने में मदद मिले, लेकिन इसमें कोई भी अननेसेसरी प्रेशर नहीं डाला जाए. बच्चों को खुद से अपनी मंजिल तय करने की फ्रीडम मिलनी चाहिए, ताकि वे सेल्फ डिपेंड बन सकें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)