स्मोकिंग और मोटापे याद्दाश्त हो जाती है कम, बढ़ जाता है अल्जाइमर का खतरा : विशेषज्ञ

Smoking Side Effects: विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा और धूम्रपान वैस्कुलर डिमेंशिया के प्रमुख कारक हैं. धूम्रपान के कारण होने वाली सूजन के कारण अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.

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Smoking Cause Alzheimer's: धूम्रपान के कारण अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.

Smoking Cause Alzheimer's: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक मोटापा और धूम्रपान से अल्जाइमर रोग हो सकता है. उन्होंने खासतौर से युवा वयस्कों में दोनों ही चीजों को काबू करने की जरूरत पर बल दिया. अल्जाइमर एक तेजी से फैलने वाला न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज है. यह एक गंभीर पब्लिक हेल्थ कंसर्न है. यह याददाश्त और अन्य जरूरी मानसिक कार्यों को हानि पहुंचाता है. इससे  डेली एक्टिविटी करने में परेशानी आने लगती है. विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा और धूम्रपान वैस्कुलर डिमेंशिया के प्रमुख कारक हैं. धूम्रपान के कारण होने वाली सूजन के कारण अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.

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धूम्रपान से ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है:

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल ने बताया, "धूम्रपान से ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है, इससे मस्तिष्क में ब्लड फ्लो कम हो जाता है और ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंच सकता है. मोटापा सूजन और इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा हुआ है, जो ब्रेन हेल्थ के लिए हानिकारक है."

हाल ही में द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि इसके प्रमुख जोखिम कारकों पर अंकुश लगाना जरूरी है. दुनिया में याददाश्त के मामले 2050 तक तीन गुना हो जाएंगे. इसमें 153 मिलियन लोग कम याददाश्त के साथ जी रहे होंगे. अल्जाइमर, याददाश्त खत्म होने का सबसे आम कारण है. यह 60 से 80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. इसके तेजी से बढ़ने की उम्‍मीद होती है.

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धूम्रपान मोटापा, डायबिटीज और हार्ट रोग का कारण:

मणिपाल अस्पताल द्वारका के एचओडी और क्लस्टर हेड न्यूरोसर्जरी डॉ. अनुराग सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, "धूम्रपान मोटापा डायबिटीज और हार्ट रोग जैसी बीमारियों का भी कारण बनता है, जो अल्जाइमर के लिए जोखिम कारक माने जाते हैं. ये कंडिशन्स ब्रेन हेल्थ को खराब करती है, जबकि सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ावा देती है. इससे याददाश्त में कमी आती है और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ता है."

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इसके अलावा मोटापा मेटाबॉलिक फंक्शन्स और इंसुलिन संकेतन को बाधित करता है, इससे न्यूरोडीजनरेशन का खतरा बढ़ जाता है. दूसरी ओर, धूम्रपान ब्रेन में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को बढ़ाता है, इससे अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.

धूम्रपान से याद्दाश्त की कमी:

डॉ. अनुराग ने कहा, "सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायन, जैसे निकोटीन और टार ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और ब्लड फ्लो में बाधा डालते हैं. धूम्रपान न केवल अल्जाइमर को तेज कर सकता है, बल्कि याददाश्त की कमी के अन्य रूपों को भी बढ़ा सकता है."

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इसके अलावा, जिन लोगों के परिवार में अल्जाइमर का इतिहास रहा है और वह धूम्रपान करते हैं, उनमें यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है.

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पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. शैलेश रोहतगी ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने संतुलित जीवनशैली और खान-पान की आदतों को बनाए रखने और निरंतर जांच करने की सलाह दी है, क्योंकि कई लाइफस्टाइल कारण कम उम्र में भी याददाश्त संबंधी बीमारी का खतरा बना रहता है.

उन्होंने डेली एक्टिविटीज पर भी जोर दिया, जो सिर्फ फिजिकल एक्टिविटी ही नहीं बल्कि ब्रेन को भी एक्टिव रखती हैं. उन्‍होंने सलाह देते हुए कहा कि बोर्ड गेम जैसी मेंटल एक्टिविटीज को शामिल करना इसमें जरूरी हो सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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