हड्ड‍ियां भी होती हैं ट्रांसप्लांट, जानिए कौन किसे डोनेट कर सकता है बोन्‍स, क्‍या है बोन ग्राफ्टिंग और कितनी दर्दनाक है इसकी सर्जरी

Can bones be transplanted? इसका यूज क्रॉनिक ज्वाइंट्स पेन के इलाज के लिए भी किया जाता है. बोन ग्राफ्टिंग टेक्निक कई तरह की होती हैं. इनमें एलोग्राफ्ट, ऑटोग्राफ्ट और सिंथेटिक बोन ग्राफ्ट शामिल हैं.

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क्या हड्डियों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है? बोन ग्राफ्टिंग के बारे में जानें सबकुछ.

Can bones be transplanted? क्या हड्डियों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है? आज इसी पर बात करते हैं. और जानते हैं कि हड्ड‍ियों को ट्रांसप्‍लांट करने की प्रक्रिया को क्‍या कहते हैं और इसे कैसे किया जाता है. बोन ग्राफ्टिंग (Bone Grafting) हड्डियों की मरम्मत के लिए एक टेक्निक है. किसी गंभीर फ्रैक्चर के बाद जब हड्डियां ठीक से जुड़ नहीं पाती हैं तो बोन ग्राफ्टिंग हड्डियों की मरम्मत में मदद करता है. इसका यूज क्रॉनिक ज्वाइंट्स पेन के इलाज के लिए भी किया जाता है. बोन ग्राफ्टिंग टेक्निक कई तरह की होती हैं. इनमें एलोग्राफ्ट, ऑटोग्राफ्ट और सिंथेटिक बोन ग्राफ्ट शामिल हैं. आइए जानते हैं क्या है बोन ग्राफ्टिंग (What is bone grafting), किसे इसकी जरूरत पड़ती है और कैसे की जाती है.

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क्या है बोन ग्राफ्टिंग, जानिए किसे होती है इसकी जरूरत और कैसे की जाती है हड्डियों की ग्राफ्टिंग | Bone Grafting: What It Is, Types, Risks and Benefits

बोन ग्राफ्टिंग क्या है (What is bone grafting)

बोन ग्राफ्टिंग बॉडी में प्राकृतिक हड्डी बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है. इसके साथ ही यह कमजोर और टूटी हुई हड्डियों के बीच के गैप को भरती हैं. जिससे बोन्स बनने के लिए जरूरी बोन टिश्यू तेजी से डेवलप होने लगते हैं.

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बोन ग्राफ्टिंग की जरूरत किसे होती है (Who needs a bone graft)

फ्रैक्चर के बाद हड्डियों के ठीक से नहीं जुड़ने पर बोन ग्राफ्टिंग की जरूरत होती है. बोन्स का देर से जुड़ना, बोन्स की हीलिंग की गति बहुत धीमी होना या हड्डियों का असामान्य स्थिति में ही ठीक हो जाना या हड्डियां जुड़ ही नहीं रही हों जैसी स्थितियों में बोन ग्राफ्टिंग करनी पड़ती है.

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इसके अलावा इसकी जरूरत कुछ और स्थितियों में भी पड़ती है.

  • बोन डिजीज जैसे ऑस्टियो नेक्रोसिस और कैंसर.
  • बोन इंफेक्शन जैसे ऑस्टियोमाइलाइटिस.
  • जन्मजात दोष जैसे असमान अंग या असामान्य रूप से छोटी ठुड्डी
  • दांत प्रत्यारोपण से पहले जबड़े की मजबूती के लिए
  • ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी, जिसमें आर्टिफिशियल ज्वाइंट्स को सुरक्षित करने के लिए बोन डेवलपमेंट की जरूरत होती है.
  • स्पाइनल फ्यूजन के लिए
  • ट्रॉमा और गंभीर फ्रैक्चर जिसमें हड्डियां टूट गई हों.

कितने तरह की होती है बोन ग्राफ्टिंग ? (Type of bone grafting)

एलोग्राफ्ट (Allograft)

एलोग्राफ्ट बोन ग्राफ्टिंग में डोनर से मिले बोन टिश्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. यह सबसे ज्यादा स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी में काम आता है. यह सर्जरी करवाने वाले व्यक्ति की हड्डियों को एक तरह का फ्रेमवर्क देता जिसके चारों ओर हेल्दी बोन टिश्यूज डेवलव हो पाते हैं.

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ऑटोग्राफ्ट (Autograft)

ऑटोग्राफ्ट में सर्जरी करवाने वाले व्यक्ति के बोन टिश्यू को यूज किया जाता है. ये टिश्यूज आमतौर पर हिप बोन से लिये जाते हैं. पीड़ित के टिश्यू का यूज किए जाने से बोन्स के फ्यूजन की सफलता की संभावना ज्यादा होती है.

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बोन मैरो एस्पिरेट (Bone marrow aspirate)

बोन के अंदर के स्पंजी पदार्थ को मैरो कहते हैं. इसमें स्टेम और सेल्स होती हैं जो हड्डी के फ्रैक्चर को ठीक करने में मदद करती हैं. बोन मैरो एस्पिरेट के लिए हिप बोन से बोन मैरो लिया जाता है. इस टेक्निक को अकेले या एलोग्राफ्ट के साथ यूज किया जाता है.

सिंथेटिक बोन ग्राफ्ट (Synthetic bone graft)

सिंथेटिक बोन ग्राफ्ट में कई तरह के पोरस मेटेरियल का यूज किया जाता है. इनमें प्रोटीन होता है जो हड्डियों के विकास में सहायता करता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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