हीटवेव क्या है, इसके लक्षण, कितना खतरनाक है और हीटवेव से बचने के लिए क्या करें

हीटवेव क्या है? (What Is A Heatwave?) : हीटस्ट्रोक गर्मी से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी है. यह तब होता है जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है. पसीना निकालने की प्रणाली विफल हो जाती है और शरीर खुद को ठंडा करने में असमर्थ होता है.

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गर्मी का मौसम है. आम आ चुके हैं. जमकर आइसक्रीम का लुत्फ लिया जा रहा है. बच्चे गर्मी की छुट्टियों के इंतजार में है, इन सभी खुशनुमा पलों में एक चीज है जो सबकी चिंता बढ़ा रही है. वह है लू या हीटवेव. हीटवेव के मामले गर्मियों के स्वाद को खराब कर देने के लिए काफी हैं. गाहे बगाहे लू लगने के मामलों की खबरें आ रही हैं और सरकार और स्वास्थ्य विभाग भी लू से बचने के लिए लोगों को चेतावनी और सुझाव जारी कर रहे हैं. ऐसे में आज यह जानते हैं कि लू या हीटवेव आखिर है क्या, यह कैसे लगती है, कितनी खतरनाक होती है हीटवेव और किन सावधानियों को अपनाकर आप हीटवेव से बच सकते हैं. सबसे पहले जानते हैं हीटवेव क्या है- 

हीटवेव क्या है? (What Is A Heatwave?)

हीटस्ट्रोक गर्मी से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी है. यह तब होता है जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है. पसीना निकालने की प्रणाली विफल हो जाती है और शरीर खुद को ठंडा करने में असमर्थ होता है.

यह समझना जरूरी है कि आप हीटवेव से जूझ तो नहीं रहे हैं. ऐसे में यह जानना चाहिए कि हीट वेव आखिर है क्या. गर्मी में गर्म हवाएं तो खूब चलती हैं, लेकिन हीटवेव तब घोषित की जाती है जब किसी जगह का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक या पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. अब जानते हैं हीटवेव आपकी सेहत के लिए किस तरह से और कितनी खतरनाक हो सकती है. 

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क्यों हीटवेव खतरनाक हैं? (Why Are Heatwaves Dangerous?)

क्या आपने कभी यह देखा है कि आपको वर्क फॉर्म होम मिला हो या आप बस घर से बाहर इसलिए न निकले हों कि बाहर हीटवेव है. ऐसा कम ही देखने को मिलता है. जबकि हीटवेव में बाहर निकलना ठीक नहीं. लेकिन ध्यान रहे चिलचिलाती गर्मी को हल्के में लेना बहुत ख़तरनाक हो सकता है.

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डॉक्टर्स के अनुसार हीटवेव हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकती है. हीटवेव या लू के चलते चक्कर आना, सिरदर्द, बेहोशी जैसे लक्षण दिख सकते हैं. लू लगना या हीटवेव की चपेट में आना कई बार गंभीर परिणाम दे सकता है. यह गंभीर निर्जलीकरण और ब्लड प्रेशर में गिरावट का कारण भी बन सकता है.

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लंबे समय तक बढ़े तापमान में रहने से दिल, फेफड़े, गुर्दे, लिवर और दिमाग जैसे अंगों पर भी खतरा बढ़ता है. यह मस्तिष्क में सूजन का कारण भी बन सकता है. इससे घातक हीटस्ट्रोक भी हो सकता है. यहां यह जानना भी जरूरी है कि हीटवेव या लू लगने पर किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. चलिए जानते हैं.

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हीटस्ट्रोक के लक्षण क्या हैं? (What Are The Signs of Heatstroke?)

जब कोई व्यक्ति हीटवेव के संपर्क में आता है, तो उसका आंतरिक सिस्टम उच्च तापमान वृद्धि के अनुकूल नहीं हो पाता है. लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने के बाद सबसे पहले पसीना आने की क्षमता प्रभावित होती है. पसीना शरीर पर ठंडा प्रभाव डालता है. एक बार जब किसी व्यक्ति को पसीना आना बंद हो जाता है, तो उसे गर्मी से थकावट होने का खतरा ज्यादा होता है, जो जल्दी ही हीटस्ट्रोक बन सकता है, ऐसे हालात में तुरंत डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है. 

हीटवेव को हल्के में न लें. घर के अंदर रहें, ठंडा लेकिन उचित तरल पदार्थ पिएं और याद रखें कि सभी बुरी चीजों की तरह, यह भी गुजर जाएगा. लू लगने पर किस तरह के लक्षण दिखते हैं यह तो आप जान गए, लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि आप खुद को लू से कैसे बचा सकते हैं और लू लगने पर किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं.  

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हीटवेव से होने वाली परेशानियों से कैसे बचें

- हीटवेव या लू के दौरान बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रखें. इन दोनों के लिए ही ज्यादा तापमान में बाहर निकलना ठीक नहीं. इन लोगों को धूप में निकलने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए. 

- याद रखने वाली पहली बात यह है कि हाइड्रेटेड रहें, यानी खूब पानी पिएं. बहुत सारे तरल पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें. कोई चीज पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार न करें. अपने लिए हर 30 मिनट में एक अलार्म सेट करें और हर 30 मिनट में कुछ न कुछ पिएं.

- चीनी, कैफीन या अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों से बचें. साथ ही, बर्फीले पेय पदार्थों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि वे पेट में ऐंठन पैदा कर सकते हैं. 

- जहां तक संभव हो घर के अंदर रहें. बाहर के कामों को करने के लिए सुबह और शाम के ठंडे समय में निकलें. 
- अगर दोपहर के दौरान घर से निकलना बेहद जरूरी है, तो लंबे समय तक धूप में न रहें. छाया के लिए आप छाता ले सकते हैं; अपने साथ पानी लेकर चलें. 
- हल्के सूती कपड़े पहनें. हल्के, हल्के रंग के और ढीले-ढाले कपड़े चुनने से शरीर पर चकत्ते पड़ने की संभावना कम हो जाती है. 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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