Delhi Air Pollution: दिवाली का त्योहार भारत में उत्साह और रोशनी का प्रतीक माना जाता है. यह समय परिवारों के साथ मिलकर खुशियां मनाने, मिठाइयां बांटने और पटाखे जलाने का होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में दिल्ली में दिवाली के बाद खांसी और सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. जो दिल्ली में रहने वालों के लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदुषण इस हद तक बढ़ गया है कि कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती जा रही है. इस लेख में हम इस समस्या के कारणों, स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों और इससे बचने के उपायों के बारे में बता रहे हैं.
दिल्ली में वायु प्रदूषण और उपाय (Air Pollution in Delhi How to Prevent)
1. दिवाली और वायु प्रदूषण
दिवाली के दौरान पटाखों का इस्तेमाल दिल्ली में एयर क्वालिटी को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. पटाखों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक केमिकल की मात्रा हवा में बढ़ जाती है. जिससे वायु प्रदूषण का स्तर आसमान छू जाता है. यह प्रदूषण न केवल स्वच्छ हवा को प्रदूषित करता है, बल्कि उन लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है, जो पहले से ही सांस की बीमारियों या एलर्जी से पीड़ित हैं.
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2. पराली जलाना भी गंभीर समस्या
दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाना एक गंभीर समस्या बन चुकी है. जो न केवल पर्यावरण बल्कि इंसान की हेल्थ पर भी गंभीर प्रभाव डालती है. हर साल, जब फसल कटाई का समय आता है, किसान पराली को जलाकर खेतों को साफ करते हैं. हालांकि यह एक पारंपरिक विधि है, लेकिन इसके कई नुकसान हैं. पराली जलाने का सबसे बड़ा नुकसान वायु प्रदूषण है. जलती हुई पराली से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैसें और सूक्ष्म कण होते हैं, जैसे पीएम 2.5 और पीएम 10. ये कण हवा में फैलकर सांस की समस्याएं, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस पैदा कर सकते हैं. दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दिवाली के आसपास और अधिक खराब हो जाता है, जिसमें एक कारण पराली जलाना भी है.
3. स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण के कारण खांसी, जुकाम और अन्य सांस संबंधी बीमारियों में बढ़ जाती हैं. डॉक्टरों का मानना है कि दिवाली के बाद खांसी के मामलों में कई गुना बढ़ोतरी होती है. कई लोग जो पहले से ही अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं. उन्हें सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों और बुजुर्गों को इस प्रदूषण से विशेष रूप से खतरा होता है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण
एक रिसर्च के अनुसार दिवाली के बाद हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे नैनो पार्टिकल्स का स्तर बढ़ जाता है. ये कण फेफड़ों में घुसकर अनेक तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ा सकते हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के किए गए अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण के कारण फेफड़ों के काम करने क्षमता में कमी आ सकती है. जिससे सांस लेने में कठिनाई और खांसी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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5. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
हेल्थ इशुज केवल शारीरिक बीमारियों तक सीमित नहीं है. वायु प्रदूषण मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है. लगातार खांसी और सांस की समस्याएं लोगों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती हैं. जिससे चिंता और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. विशेष रूप से, जो लोग पहले से ही मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस स्थिति से ज्यादा परेशानी होती हैं.
6. सरकारी प्रयास
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध और कड़े नियमों का पालन. लेकिन इन उपायों का प्रभाव तब तक सीमित रहेगा जब तक लोगों की सोच में बदलाव नहीं आता. लोगों को यह समझने की जरूरत है कि दिवाली का उत्सव किसी भी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देने का नहीं होना चाहिए.
7. जागरूकता और शिक्षा
समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन किया जाना चाहिए. बच्चों और यूथ को यह सिखाना जरूरी है कि प्रदूषण का हमारी हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है और किस प्रकार वे स्वच्छता बनाए रख सकते हैं.
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प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या किया जा सकता है? (What can be done to control pollution?
पटाखों का प्रयोग सीमित करें: दिवाली के दौरान पटाखों का इस्तेमाल कम करने की अपील की जा रही है. इसके बजाय, लोग मिठाइयां बांट सकते हैं और पर्यावरण को फायदा पहुंचाने वाले उपाय अपना सकते हैं.
एयर क्वालिटी पर ध्यान: सरकार और दिल्ली में रहने वाले लोग दोनों को एयर क्वालिटी पर ध्यान देने के लिए नियमित रूप से प्रयास करना चाहिए. इसके लिए टेक्निकल इक्यूपमेंट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
हेल्थ चेकअप: हर व्यक्ति को नियमित हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों को जो पहले से ही सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं.
फैमिली हेल्थ: परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे की हेल्थ का ध्यान रखना चाहिए, खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों का.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)