अलग-थलग और बेहद चुप रहता है बच्चा, तो हो सकती है ऑटिज्म की शिकायत, एक्सपर्ट से जानिए कारण, लक्षण और इलाज

शुरुआत में बच्चों में दिखने वाली मामूली दिक्कत बच्चों की मानसिक कमजोरी और बीमारी के रूप में सामने आती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों से ऐसे करें डील

Autism causes and Sypmtoms: इन दिनों न्यूक्लियर फैमिली, सिंगल पैरेंटिंग या कामकाज का दबाव झेल रहे परिवारों के बच्चों में कई बार देर रात बेवजह जगने, दूसरे बच्चों से दूर यानी अकेले अलग थलग रहने, काफी परेशान या अचानक गुस्सा होने की शिकायतें  लगातार बढ़ती जा रही हैं. शुरुआत में मां-बाप इसे नजरअंदाज कर देते हैं. बाद में यही मामूली दिखने वाली दिक्कत बच्चों की मानसिक कमजोरी और बीमारी के रूप में सामने आती है.

ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लक्षण (Symptoms of children suffering from autism)

पीडियाट्रिक और साइकेट्रिस्ट जैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स का कहना है कि बच्चों में ये सब लक्षण ऑटिज्म की वजह से सामने आते हैं. ऐसी दिक्कतों को देखकर पैरेंट्स को परेशान होने की जगह बच्चों से प्रेम से बात करने और मानसिक रोग विभाग में काउंसलिंग करवाने की जरूरत होती है. डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्चों का चंचल होना स्वाभाविक है, लेकिन उनमें ध्यान की कमी होने, पढ़ाई में मन नहीं लगने और दूसरे बच्चों को परेशान करने जैसी आदतें दिमाग के सही विकास नहीं होने की वजह से हो सकता है.

Read: CBSE 12th Result: लड़कियां फिर अव्वल, क्या लड़कों से तेज होता है लड़कियों का दिमाग, जानें क्या कहता है साइंस

ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स रहें सावधान : मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने, मारपीट या डांट-फटकार की जगह प्यार से समझाने और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग के अलावा डॉक्टर्स की बताई दवा देने से काफी सुधार हो सकता है. बच्चों में इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता. वैसे भी बच्चों की ये दिमागी समस्या की पहचान दो साल की उम्र के बाद ही समझ में आ पाती है.

Advertisement

Read: चेहरे पर दही लगाने से क्या होता है? ग्लोइंग स्किन के लिए कितना कारगर? जानिए फेस पर दही लगाने के फायदे और नुकसान

स्कूल और टीचर को भरोसे में लेना भी जरूरी : इसलिए दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही ध्यान में रखकर इलाज भी किए जाते हैं. दवाओं का पूरा कोर्स लंबे समय तक जारी रखा जाता है. डॉक्टर्स की हिदायत है कि दवा का कोर्स अधूरा रह जाने पर इस बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है. थोड़ी बड़ी उम्र के बच्चे इस बीमारी के चक्कर में स्कूल जाने से बचते हैं. उनका खेलकूद या पढ़ाई में मन नहीं लगता. ऐसी हालत में बच्चों के स्कूल टीचर को भरोसे में लेकर सावधानी से आगे कदम बढ़ाना चाहिए.

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Gang War In Bihar: सामने आया अनंत सिंह और Sonu-Monu Gang के बीच Firing का VIDEO | Anant Singh Attack
Topics mentioned in this article