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बायोमेट्रिक क्या होता है? जिसे यूपी में सरकारी डॉक्टरों के लिए किया गया जरूरी

UP Hospitals Biometrics: उत्तर प्रदेश के तमाम सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और बाकी कर्मचारियों को अब बायोमेट्रिक सिस्टम से ही अपनी हाजिरी लगानी होगी, सरकार की तरफ से पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ये फैसला लिया गया है.

बायोमेट्रिक क्या होता है? जिसे यूपी में सरकारी डॉक्टरों के लिए किया गया जरूरी
यूपी में बायोमेट्रिक हाजिरी

UP Hospitals Biometrics: उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के बड़ी खबर है. अब यूपी सरकार तमाम विभागों में बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था को अनिवार्य कर रही है. इसी क्रम में अब राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में ये सुविधा लागू होगी. अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों से लेकर तमाम कर्मचारियों को अपनी बायोमेट्रिक हाजिरी लगानी होगी. बताया जा रहा है कि जो कर्मचारी अपनी ड्यूटी पूरी नहीं करते हैं या काम में लापरवाही बरतते हैं, उनके लिए ये फैसला लिया गया है.  बिना बायोमेट्रिक हाजिरी के अब यूपी के अस्पतालों में काम कर रहे कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलेगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये बायोमेट्रिक क्या होता है और ये काम कैसे करता है. 

क्या होता है बायोमेट्रिक?

बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था यूपी के स्कूलों और बाकी कई सरकारी संस्थानों में पहले से ही मौजूद है. ये एक तरह का सत्यापन का तरीका है, जिसमें काम करने वाले कर्मचारियों की रेटीना, फिंगर प्रिंट या फिर चेहरा दर्ज होता है. यानी इस सिस्टम में सिर्फ वही कर्मचारी अपनी हाजिरी दर्ज कर सकता है, जो दफ्तर पहुंचा हो. यूपी के अस्पतालों में अंगूठा लगाने वाला सिस्टम लगाया जाएगा, जिसमें थंब इंप्रेशन यानी अंगूठे के फिंगर प्रिंट की जांच होती है. जैसे ही मशीन पर अंगूठा लगाया जाता है, वो हाजिरी लगा देता है और सामने स्क्रीन पर इसकी जानकारी भी मिल जाती है. इसमें वो टाइम भी दर्ज होता है, जब अंगूठा लगाया गया हो. 

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क्यों जरूरी है बायोमेट्रिक?

अब सवाल है कि बायोमेट्रिक सत्यापन क्यों जरूरी है? दरअसल ये एक ऐसा प्रोसेस है, जिसे दोहराया या फिर किसी दूसरे के साथ शेयर नहीं किया जा सकता है. कई बैंकिंग प्रोसेस और आधार कार्ड जैसी चीजों में भी बायोमेट्रिक का इस्तेमाल किया जाता है. ये काफी ज्यादा सिक्योर होता है और इसमें फर्जीवाड़े के चांस लगभग खत्म हो जाते हैं. यानी एक ही योजना का फायदा दो लोग नहीं उठा सकते हैं, ठीक इसी तरह किसी दूसरे कर्मचारी की अटेंडेंट कोई भी कर्मचारी नहीं लगा सकता है. 

गैरहाजिरी की शिकायतों के बाद फैसला

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्टाफी की गैरहाजिरी की शिकायतें लगातार मिल रही थीं, जिसके बाद बायोमेट्रिक हाजिरी का ये फैसला लिया गया है. बताया गया है कि इस व्यवस्था के बाद पारदर्शिता बढ़ेगी और ऐसे कर्मचारियों की पहचान हो पाएगी, जो अक्सर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं. 

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