
Best Hindi Poem: शिवमंगल सिंह सुमन एक जाने-माने कवि थे, उनकी कविताएं आज भी इंटरनेट पर वायरल रहती हैं. शिवमंगल सिंह सुमन ने हिंदी साहित्य में बहुत योगदान दिया है. उन्होंने एक से बढ़कर रचनाएं लिखी है, जिसे पढ़ने के बाद मोटिवेशन आता है. हिंदी साहित्य में प्रगतिशील लेखन के अग्रणी कवि सुमन का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था. उनका निधन 27 नवंबर 2002 को हो गया था. उनकी आवाज स्वतंत्रता, देशभक्ति और स्वाभिमान के नाम से गूंजती थी. इन दिनों सोशल मीडिया पर शिवमंगल सिंह सुमन की एक कविता काफी वायरल है, जो आपको भी बहुत पसंद आएगी.
वरदान मांगूंगा नहीं....
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूंगा पर दया की भीख मैं लूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही
वरदान मांगूंगा नहीं।
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं।
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