Sanvidhan Diwas: भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. यही वजह है कि इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है, हालांकि 26 नवंबर को संविधान दिवस भी मनाते हैं. ये वो दिन है, जब भारतीय संविधान पूरी तरह लिखकर तैयार हुआ था और संविधान सभा की तरफ से इसे अपनाया गया था. भारतीय संविधान दुनिया के सबसे बड़े संविधानों में से एक है और ये दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. आज भी संसद भवन की लाइब्रेरी में हाथ से लिखे संविधान की मूल प्रतियां देखी जा सकती हैं. संविधान दिवस के मौके पर आज हम आपको संविधान शब्द का मतलब बताने जा रहे हैं.
क्या होता है संविधान का मतलब?
संविधान के बारे में कई बातें आप जानते होंगे, लेकिन इसका नाम संविधान क्यों है और इसका मतलब क्या है, ये काफी कम लोगों को पता होता है. संविधान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है. जिसमें सम और विधान शामिल हैं. सम का मतलब बराबर होता है, यानी सभी के लिए एक समान होना. वहीं विधान का मतलब नियम-कानून होता है. यानी संविधान का मतलब है कि इसमें बनाए गए तमाम नियम और कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं.
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भारतीय संविधान के बनने की कहानी
दुनिया के लिखित संविधानों में सबसे लंबा संविधान भारत का है. भारत के मूल संविधान में 395 आर्टिकल, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं. हालांकि संशोधन के बाद इनकी संख्या बढ़ती गई. आजादी से पहले ही संविधान को बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. इसके ड्राफ्ट पर लंबी चर्चा हुई और कई बार रिवीजन हुए. असेंबली में कई बैठकों के बाद 4 नवंबर 1948 को संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने फाइनल ड्राफ्ट पेश किया. इसके बाद आखिरकार 26 नवंबर 1949 को इस ड्राफ्ट को पास किया गया और इसे अपनाया गया. बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया.
कहां से ली गई प्रेरणा?
भारतीय संविधान को बनाने से पहले संविधान निर्माताओं ने कई देशों के संविधानों की स्टडी की. इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, साउथ अफ्रीका, ब्रिटिश, सोवियत और जापान के संविधान की विशेषताओं का अध्ययन किया गया था. बाद में भारत के हिसाब से कई बदलावों के साथ संविधान को लिखा गया.
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