श्रीलंका के खिलाफ हुए पहले और दूसरे टेस्ट मैच में अश्विन के अलावा अगर किसी और ने अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया है तो वह हैं अमित मिश्रा।
अमित को कप्तान विराट कोहली का पूरा समर्थन हासिल है। उतना ही जितना हरभजन सिंह को। बल्कि हरभजन को ज्यादा विश्वास हासिल है। लेकिन भज्जी इस भरोसे को परिणाम में नहीं बदल पाए। जबकि मिश्रा ने पहले टेस्ट में 5 विकेट लिए और दूसरे टेस्ट की पहली पारी में सबसे ज्यादा चार विकेट हासिल किए, जबकि दूसरी पारी में उन्हें तीन विकेट मिले।
दूसरी पारी में उन्होंने दिनेश चंडीमल जैसे बल्लेबाज को बोल्ड किया। यह विकेट इसलिए अहम है, क्योंकि चंडीमल ही थे, जिन्होंने पहले मैच में बेहतरीन 165 रन नाबाद बनाकर भारत से मैच छीन लिया था। अश्विन के जोड़ीदार की तलाश लंबे समय से चल रही थी। पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्रसिंह धोनी को रविंद्र जडेजा पर खुद से ज्यादा भरोसा था, उन्होंने जडेजा को जरूरत से ज्यादा मौके दिए, लेकिन जडेजा अश्विन का साथ नहीं दे पाए। कम से कम टेस्ट मैचों में तो बिल्कुल नहीं। भारत और स्पिन के मददगार ट्रैक्स पर भी नहीं।
धोनी के जाते ही टीम चयन में कोहली का असर दिखा। अमित मिश्रा टुकड़े-टुकड़े में अच्छा खेलते रहे, लेकिन कप्तान धोनी का विश्वास हासिल नहीं होने के कारण वह एक छटके में बाहर कर दिए जाते थे। विराट के कप्तान बनते ही अमित न केवल सीधे टीम में आए बिल्कि मैदान में भी उतारे गए। अब जबकि अक्टूबर से 4 टेस्ट मैच भारत में ही होने हैं अमित भारतीय आक्रमक में मुख्य भूमिका निभाएंगे अश्विन के साथ। ऐसे में अब दवाब हरभजन पर होगा क्योंकि उनकी जगह पक्की नहीं है।