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दो चरण में टूर्नामेंट आयोजित करना चुनौतीपूर्ण है लेकिन वित्तीय अस्थिरता का सामना कर रहे और भारतीय क्रिकेट की ओर ले जाती सीढ़ी पर ऊपर चढ़ने के लिये मंच नहीं मिलने से परेशान क्रिकेटरों के लिये लाल गेंद का क्रिकेट काफी मायने रखता है. सौराष्ट्र के स्टार बल्लेबाज शेल्डन जैक्सन ने कहा, ‘‘देश का प्रत्येक घरेलू क्रिकेटर लीग चरण या नॉकआउट के बारे में नहीं सोच रहा, कोई भी बबल या कोविड-19 के बारे में नहीं सोच रहा, वे बस खेलना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस समय खेलना ही सबकुछ है और बाकी हो जायेगा. ''
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सौराष्ट्र की टीम गत चैम्पियन है और देश में प्रथम श्रेणी का अंतिम मुकाबला मार्च 2020 में खेला गया था. उन्होंने कहा, ‘‘हम बीसीसीआई (BCCI) के बहुत शुक्रगुजार हैं जिसने इस मुश्किल दौर में भी लाल गेंद का क्रिकेट आयोजित करने का फैसला किया. जब आप खेलोगे तभी आप पायदान में ऊपर चढ़ने के बारे में सोच सकते हो. टूर्नामेंट के प्रारूप के अनुसार प्रत्येक टीम को पांच लीग मैच खेलने होंगे. ये एक महीने में पूरे हो सकते हैं, जिसमें प्रत्येक मैच के बाद तीन दिन का आराम भी हो. क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल जून में कराये जा सकते हैं, हालांकि साल के इस समय मानसून सत्र शुरू हो जाता है.
चंडीगढ़ के तेज गेंदबाज संदीप शर्मा आईपीएल (IPL) के नियमित खिलाड़ी हैं, वह हाल में कोविड-19 से जूझ चुके हैं जबकि डेंगू होने के कारण घरेलू टी20 टूर्नामेंट में नहीं खेल पाये थे. वह रणजी के शुरू होने से काफी खुश हैं लेकिन उनका कहना है कि बीसीसीआई (BCCI) के लिये इसे आयोजित करना बहुत मुश्किल काम होगा. उन्होंने कहा, ‘‘आईपीएल (IPL) में केवल 200 खिलाड़ी ही खेलते हैं लेकिन घरेलू क्रिकेट में काफी ज्यादा खिलाड़ी होते हैं. यह वित्तीय रूप से और साथ ही आपके करियर की बढ़ोतरी के लिये भी महत्वपूर्ण है. मैं हाल में ही कोविड-19 से उबरा हूं तो मैं प्रार्थना करूंगा कि रणजी के दौरान कोई भी इस वायरस से संक्रमित नहीं हो. ''इस सत्र में मुंबई टीम में जगह नहीं पा सकने वाले सिद्धेश लाड ने कहा कि खिलाड़ियों को आखिरकार अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा.
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वह पिछल साल क्लब क्रिकेट खेलने के लिये इंग्लैंड गये थे और वह आईपीएल में भी खेले थे. उन्होंने कहा, ‘‘हम जैसे खिलाड़ियों के लिये यह अच्छी खबर है. इससे हम वित्तीय स्तर पर स्थिर तो रहते हैं, साथ ही हमें मौका भी मिलता है जिसके लिये हम पिछले दो तीन सत्र से जूझ रहे थे. हम अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पा रहे थे. ''सौराष्ट्र के कोच नीरज ओडेद्रा ने कहा, ‘‘रणजी ट्राफी को दो चरण में आयोजित करना एक अलग चुनौती होगी लेकिन फिर भी यह सकारात्मक खबर है, कम से कम इसे आयोजित किया जा रहा है. लाल गेंद के क्रिकेट के नहीं होने से आपकी क्रिकेटरों की ‘सप्लाई लाइन' (प्रतिभा) प्रभावित हो रही थी और अगर एक और साल रणजी नहीं होती तो हालात बहुत खराब हो जाते. '' बड़ौदा क्रिकेट संघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिशिर हतंगड़ी ने कहा कि बोर्ड रणजी ट्राफी के लिये तीन दिवसीय प्रारूप पर भी वापसी कर सकता है जैसा 70 और 80 के दशक में होता था ताकि सुनिश्चित हो कि टूर्नामेंट सीमित समय में पूरा हो जाये.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि उन्हें मूवमेंट और यात्रा को सीमित करने के लिये प्रारूप में थोड़ा बदलाव करना पड़ सकता है. आईपीएल से पहले जितने दिन उपलब्ध हैं, उसे देखते हुए वे लीग चरण में तीन दिवसीय प्रारूप में भी वापस जा सकते हैं और नॉकआउट चार दिन के हो सकते हैं. सीमित समय को देखते हुए यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प भी दिखता है. ''