Asia Cup 2022: शुरू हो रहे टूर्नामेंट में सहवाग कमेंट्री करते दिखेंगे
खास बातें
- मुल्तान का सुल्तान!
- साल 2004 में जब बरसे वीरू पाक पेसरों पर..
- आखिर क्यों पेसर नजर आने लगे वीरू को स्पिनर ?
नई दिल्ली: अब तो यह आप जानते ही हैं कि सहवाग का पाकिस्तान के साथ कैसा खास रिश्ता रहा है. न जाने कितने ही मुकाबलों में सहवाग ने पाकिस्तानी बॉलरों की जमकर धुलाई की है. वास्तव में सहवाग ने सभी टीमों में मिलाकर पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट और वनडे दोनों में मिलाकर 2347 रन बनाए हैं. सहवाग गाहे-बेगाहे पाकिस्तान के खिलाफ मैचों से जुड़ी यादों का खुलासा करते रहते हैं. और अब इसी कड़ी में उस मुल्तान टेस्ट पर रोशनी डाली है, जिसमें उन्होंने 309 रन की पारी खेली थी. साल 2004 में सहवाग टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले भारत के पहले बल्लेबाज बने थे. सहवाग ने इस मैच को लेकर खुलासा करते हुए कहा कि मैच से पहले पाकिस्तानी मीडिया में इस तरह की बातें चल रही थीं कि वह टेस्ट प्लेयर नहीं हैं. और आलोचक उनकी बल्लेबाजी शैली को लेकर आलोचना कर रहे थे. टेस्ट से पहले भी पांच वनडे मैचों की सीरीज में सहवाग खास असर नहीं छोड़ सके थे, तो इस वजह से भी पाक मीडिया को मौका मिल गया था. ऐसे में वह जानते थे कि उन्हें टेस्ट सीरीज में कुछ खास करना होगा.
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एशिया कप के ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर स्टार-स्पोर्टस के शो में वीरू बोले कि भारत और पाकिस्तान की प्रतिंद्वंद्विता में मुल्तान में खेली गयी 309 रनों की पारी मेरी सर्वश्रेष्ठ यादें हैं क्योंकि किसी ने भी नहीं सोचा था कि सहवाग जैसा कोई ओपनर तीन सौ का स्कोर भी बना सकता है. तब लोग कह रहे थे, मीडिया लिखा करता था और कमेंटेटर भी कहा करते थे कि सहवाग टेस्ट प्लेयर नहीं हैं. और मैं बड़ी पारियां नहीं खेल सकता.
सहवाग ने कहा कि उस पारी (309) की अच्छी बात यह थी कि पाकिस्तान के खिलाफ उससे पिछली चार पारियों में मैंने रन नहीं बनाए थे. मेरे भीतर ऐसी भावनाएं आ रही थीं कि अगर मैंने टेस्ट सीरीज में भी रन नहीं बनाए, तो मैं टीम से ड्रॉप हो सकता है. ऐसे में इस पार अगर मुझे 30-40 रन की शुरुआत मिल गयी, तो मुझे इसे बड़ी पारी में तब्दील करना है. दिग्गज बल्लेबाज ने स्वीकार किया कि शुरुआत में वह अपनी पारी में संदिग्ध थे, लेकिन जब उन्होंने अख्तर और समी का नयी गेंद के साथ अच्छी तरह सामना किया, तो उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता गया.
सहवाग ने कहा कि मुझ यह डर था कि गेंद नयी है और पिच ताजा है. अख्तर और समी तेज गेंदबाज थे. तब अख्तर करीब 155 किमी/घंटा की रफ्तार से बॉलिंग कर रहे थे, जबकि समी की गति 145 किमी/घंटा छू रही थी. और जब इन दोनों के स्पेल खत्म हो गए, तो मेरे लिए शब्बीर और रज्जाक को खेलना आसान हो गया था. जब ये दोनों पेसर गेंदबाजी के लिए आए, तो मैंने महसूस किया कि मानो मैं स्पिनरों को खेल रहा था. वजह यही थी कि अख्तर और समी का 12 ओवरों का स्पेल खेलने के बाद मेरा कॉन्फिडेंस चरम पर पहुंच गया
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