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This Article is From Oct 11, 2019

7वीं सदी में भारत आया था चीनी यात्री ह्वेनसांग, जानिए उसके बारे में 7 बातें

ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) 7वीं सदी में भारत आया था. उसने कांचीपुरम का दौरा किया था और संभव है फिर वह यहां से महाबलिपुरम गया हो.

7वीं सदी में भारत आया था चीनी यात्री ह्वेनसांग, जानिए उसके बारे में 7 बातें
चीनी यात्री ह्वेनसांग की तस्वीर
नई दिल्ली:

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) 11 अक्‍टूबर को तमिलनाडु के बेहद प्राचीन शहर महाबलिपुरम (Mahabalipuram) में मुलाकात करेंगे. एशिया की इन दो शक्तियों की मुलाकात के लिए महाबलिपुरम को बेहद खास वजह से चुना गया है. जी हां, महाबलिपुरम या ममल्‍लापुरम (Mamallapuram) प्रसिद्ध पल्‍लव राजवंश की नगरी थी और चीन के साथ उसके व्‍यापारिक और रक्षा संबंध थे, जो कि 2 हजार साल पुराने बताए जाते हैं. इतिहासकारों का मानना है कि पल्‍लव शासकों ने दशकों पहले चेन्‍नई से 50 किमी दूर स्थित ममल्‍लापुरम के दरवाजे चीन समेत दक्षिण पूर्वी एशियाओं देशें के लिए खोले दिए थे, ताकि उनका सामान आयात किया जा सके. इस बाबत कई प्रमाण भी मौजूद हैं. ममल्‍लापुरम में खुदाई के दौरान चीनी प्रतीकों से अंकित कई सिक्‍के भी मिले हैं, जो इस शहर और चीन के बीच सदियों पुराने रिश्‍तों की ताकीद करते हैं. इतना ही नहीं चीनी यात्री ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) ने 7वीं सदी में कांचीपुरम का दौरा किया था और संभव है फिर वह यहां से महाबलिपुरम गया हो.
 

ह्वेनसांग से जुड़ी 7 बातें..
 

1. ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) एक चीनी यात्री था. ह्वेनसांग का जन्म लगभग 602 ई में चीन के लुओयंग स्थान पर हुआ था. 

2. वह एक दार्शनिक, घुमक्कड़ और अनुवादक भी था. ह्वेनसांग का चीनी यात्रियों में सर्वाधिक महत्व है. उन्हें 'प्रिंस ऑफ ट्रैवलर्स' कहा जाता है.

3. ह्वेनसांग, जिन्हें मानद उपाधि सान-त्सांग से सुशोभित किया गया. उन्हें मू-चा ति-पो भी कहा जाता है. 

4. ह्वेसन 629 में ह्वेनसांग को एक स्वपन में भारत जाने की प्रेरणा मिली. ह्वेनसांग 7वीं सदी में भारत आया और उसने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया और उपमहाद्वीप के पूर्व एवं पश्चिम से लगे इलाकों की यात्रा की. 

5. ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) ने बौद्ध धर्मग्रंथों का संस्कृत से चीनी अनुवाद किया और चीन में बौद्ध चेतना मत की स्थापना की.  

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6. उसने गांधार, कश्मीर,पंजाब, कपिलवस्तु,बनारस, गया एवं कुशीनगर की यात्रा की थी, हालांकि ह्वेनसांग का सबसे ज्यादा समय कन्नौज में बीता था. उस समय वहां के राजा हर्षवर्धन थे.

7. ऐसा माना जाता है कि ह्वेनसांग भारत से 657 पुस्तकों की पांडुलिपियां अपने साथ ले गया था. भारत से चीन वापस आने के बाद उसने अपना शेष जीवन इन ग्रंथों का अनुवाद करने में बिता दिया था.

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