इतिहासकार रोमिला थापर (RomilaThapar) का सीवी मांगने पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. #RomilaThapar ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा है और लोग लगातार इस मामले पर अपने विचार रख रहे हैं. इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और रोमिला से सीवी मांगने पर कई छात्रों, शिक्षकों और इतिहासकारों ने इसका विरोध किया है. वहीं, थापर (RomilaThapar) से सीवी मांगने के मामले पर जेएनयू प्रशासन का कहना है कि उसने यह पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारिणी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयें जैसे एमआईटी और प्रिसंटन विश्वविद्यालय में भी होता है. वहीं रोमिला थापर का कहना है कि 'यह जीवन भर का सम्मान है.' रोमिला थापर जानी मानी इतिहासकार और प्रोफेसर इमेरिटस हैं. प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषज्ञ रोमिला थापर 1970 से 1991 तक जेएनयू में प्रोफेसर रहीं. रिटायर होने के बाद उन्हें 1993 में प्रोफेसर इमेरिटस का दर्जा दिया गया.
रोमिला थापर से जुड़ी 10 बातें
- रोमिला थापर का जन्म 30 नवम्बर 1931 में लखनऊ में हुआ. रोमिला 87 साल की हैं.
- रोमिला के पिता दया राम थापर सेना में डॉक्टर थे और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था.
- पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, रोमिला थापर ने लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ़ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़' से 1958 में डॉक्टर की उपाधि अर्जित की.
- उन्होंने 1961 और 1962 के बीच कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में और 1963 और 1970 के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन किया.
- वह 1983 में भारतीय इतिहास कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट और 1999 में ब्रिटिश अकादमी की कोरेस्पोंडिंग फेलो चुनी गईं.
- रोमिला ने कई किताबें लिखीं. उनकी प्रमुख रचनाओं में अशोक और मौर्य साम्राज्य का पतन, प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रारंभिक भारतीय इतिहास, भारत का इतिहास - खंड 1, प्रारंभिक भारत - उत्पत्ति से ई.1300, सोमनाथ: द मेनी वॉइसेज ऑफ अ हिस्ट्री तक शामिल हैं.
- उनकी किताब 'सोमनाथ: द मेनी वॉइसेज ऑफ अ हिस्ट्री' गुजरात के सोमनाथ मंदिर के बारे में बताती है.
- उन्हें 2009 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का फॉरेन फेलो मेंबर चुना गया था. वहीं, 2017 में उन्हें सेंट एंटनी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड का माननीय फेलो चुना गया था.
- रोमिला को 2 बार पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया लेकिन दोनों बार उन्होंने ये पुरस्कार लेने से मना कर दिया था.
- उन्होंने कहा था "मैं केवल अकादमिक या मेरे काम से जुड़े संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करती हूं, न कि राजकीय पुरस्कार.''