फूलन देवी
नई दिल्ली:
'बैंडिट क्वीन' के नाम से मशहूर फूलन देवी (Phoolan Devi) का जन्म आज ही के दिन यानी कि 10 अगस्त 1963 को हुआ था. डाकू से सांसद बनने वाली फूलन देवी का पूरा जीवन बेहद विवादित रहा. फूलन देवी के जीवन पर मशहूर निर्देशक शेखर कपूर ने फिल्म 'बैंडिट क्वीन' भी बनाई. इस फिल्म में अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने फूलन देवी का किरदार निभाया था. फिल्म को बेस्ट फिल्म के नेशनल अवॉर्ड से नवाज़ा गया. यहां पर हम आपको फूलन देवी की जिंदगी के बारे में 10 बातें बता रहे हैं:
बैंडिट क्वीन से सांसद बनीं फूलन देवी के पति कांग्रेस में शामिल
1. फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में हुआ था. उसका परिवार बेहद गरीब था और उसके पास संपत्ति के तौर पर मात्र एक एकड़ जमीन थी. 11 साल की उम्र में जब उसके चाचा के बेटे माया दीन मल्लाह ने उस जमीन को कब्जाने की कोशिश की तो फूलन ने पुरजोर विरोध किया. यही नहीं उसके साथ मारपीट भी की.
2. इस वाकए के कुछ महीनों बाद फूलन के घरवालों ने उसकी शादी उम्र में कई साल बड़े पुत्तीलाल मल्लाह से करा दी. फूलन की शादीशुदा जिंदगी कभी खुशहाल नहीं रही. पति मारपीट, गाली-गलौज और शारीरिक शोषण करता था. इन सबसे परेशान होकर फूलन ससुराल से भागकर मायके आ गई.
3. माया दीन मल्लाह अब तक अपनी बेइज्जती नहीं भूला था. इसी बात का बदला लेने के लिए उसने फूलन देवी पर चोरी का इल्जाम लगाया. पुलिस ने फूलन देवी को गिरफ्तार कर तीन दिन तक जेल में रखा. इस दौरान उसके साथ खूब मारपीट गई और चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. इसके बाद गौना कर फिर से फूलन को ससुराल भेज दिया गया. लेकिन कुछ महीनों बाद ही ससुरल वालों ने फिर से मायके भेज दिया.
फूलन देवी की मां को 5 हजार की पेंशन देगा निषाद विकास संघ
4. ससुराल वापस आने के बाद फूलन देवी डाकुओं के संपर्क में आई. इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. कुछ लोगों का कहना है कि डाकुओं ने उन्हें अगवा कर लिया था. हालांकि फूलन देवी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में कहा था कि 'किस्मत को यही मंजूर था.'
5. बताया जाता है कि डाकुओं के सरदार ने एक रात फूलन का रेप करने की कोशिश की लेकिन गैंग के दूसरे डाकू विक्रम मल्लाह ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया. नतीजतन विक्रम मल्लाह ने डाकू बाबू गुज्जर की हत्या कर दी. इस तरह अगले दिन वह डाकुओं का सरदार बन बैठा.
6. इस घटना के कुछ हफ्तों बाद डाकुओं ने उसी गांव में हमला किया जहां फूलन देवी का पति रहता था. फूलन ने खुद पति को घर से बाहर खदेड़ा और गांव वालों के सामने उस पर चाकुओं से हमला कर सड़क किनारे छोड़ दिया.
7. बाबू गुज्जर की हत्या से ठाकुर गैंग के श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर काफी नाराज थे. वो इसके लिए फूलन देवी को जिम्मेदार मानते थे. दोनों गुटों की लड़ाई में विक्रम मल्लाह मारा गया. ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बेहमई में तीन हफ्तों तक बलात्कार किया. हालांकि फूलन ने कभी इस बात को नहीं स्वीकारा. 1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी. उसने दो लोगों को पहचान लिया, जिन्होंने उसका रेप किया था. बाकी के बारे में पूछा, तो किसी ने कुछ नहीं बताया. फूलन ने गांव से 22 ठाकुरों को निकालकर गोली मार दी. इसी हत्यकांड के बाद से फूलन देवी का नाम सुर्खियों में आ गया और मीडिया ने उन्हें 'बैंडिट क्वीन' नाम दे दिया.
फूलन देवी हत्याकांड में दोषी शेर सिंह राणा को उम्रकैद की सजा
8. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के अलावा दूसरे डकैत गिरोहों ने ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशें कीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जाएगी. इसके बाद फूलन देवी ने अपने 10 हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.
9. 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया. रिहाई के बाद फूल ने बौद्ध धर्म स्वीकार लिया. 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश की भदोही लोकसभा सीट चुनाव जीता और वह संसद तक पहुंच गई.
10. शेर सिंह राणा नाम के एक शख्स ने 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में फूलन की हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार राणा ने बहमई हत्याकांड में मारे गए 22 ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए फूलन देवी की हत्या की थी.
बैंडिट क्वीन से सांसद बनीं फूलन देवी के पति कांग्रेस में शामिल
1. फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में हुआ था. उसका परिवार बेहद गरीब था और उसके पास संपत्ति के तौर पर मात्र एक एकड़ जमीन थी. 11 साल की उम्र में जब उसके चाचा के बेटे माया दीन मल्लाह ने उस जमीन को कब्जाने की कोशिश की तो फूलन ने पुरजोर विरोध किया. यही नहीं उसके साथ मारपीट भी की.
2. इस वाकए के कुछ महीनों बाद फूलन के घरवालों ने उसकी शादी उम्र में कई साल बड़े पुत्तीलाल मल्लाह से करा दी. फूलन की शादीशुदा जिंदगी कभी खुशहाल नहीं रही. पति मारपीट, गाली-गलौज और शारीरिक शोषण करता था. इन सबसे परेशान होकर फूलन ससुराल से भागकर मायके आ गई.
3. माया दीन मल्लाह अब तक अपनी बेइज्जती नहीं भूला था. इसी बात का बदला लेने के लिए उसने फूलन देवी पर चोरी का इल्जाम लगाया. पुलिस ने फूलन देवी को गिरफ्तार कर तीन दिन तक जेल में रखा. इस दौरान उसके साथ खूब मारपीट गई और चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. इसके बाद गौना कर फिर से फूलन को ससुराल भेज दिया गया. लेकिन कुछ महीनों बाद ही ससुरल वालों ने फिर से मायके भेज दिया.
फूलन देवी की मां को 5 हजार की पेंशन देगा निषाद विकास संघ
4. ससुराल वापस आने के बाद फूलन देवी डाकुओं के संपर्क में आई. इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. कुछ लोगों का कहना है कि डाकुओं ने उन्हें अगवा कर लिया था. हालांकि फूलन देवी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में कहा था कि 'किस्मत को यही मंजूर था.'
5. बताया जाता है कि डाकुओं के सरदार ने एक रात फूलन का रेप करने की कोशिश की लेकिन गैंग के दूसरे डाकू विक्रम मल्लाह ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया. नतीजतन विक्रम मल्लाह ने डाकू बाबू गुज्जर की हत्या कर दी. इस तरह अगले दिन वह डाकुओं का सरदार बन बैठा.
6. इस घटना के कुछ हफ्तों बाद डाकुओं ने उसी गांव में हमला किया जहां फूलन देवी का पति रहता था. फूलन ने खुद पति को घर से बाहर खदेड़ा और गांव वालों के सामने उस पर चाकुओं से हमला कर सड़क किनारे छोड़ दिया.
7. बाबू गुज्जर की हत्या से ठाकुर गैंग के श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर काफी नाराज थे. वो इसके लिए फूलन देवी को जिम्मेदार मानते थे. दोनों गुटों की लड़ाई में विक्रम मल्लाह मारा गया. ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बेहमई में तीन हफ्तों तक बलात्कार किया. हालांकि फूलन ने कभी इस बात को नहीं स्वीकारा. 1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी. उसने दो लोगों को पहचान लिया, जिन्होंने उसका रेप किया था. बाकी के बारे में पूछा, तो किसी ने कुछ नहीं बताया. फूलन ने गांव से 22 ठाकुरों को निकालकर गोली मार दी. इसी हत्यकांड के बाद से फूलन देवी का नाम सुर्खियों में आ गया और मीडिया ने उन्हें 'बैंडिट क्वीन' नाम दे दिया.
फूलन देवी हत्याकांड में दोषी शेर सिंह राणा को उम्रकैद की सजा
8. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के अलावा दूसरे डकैत गिरोहों ने ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशें कीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जाएगी. इसके बाद फूलन देवी ने अपने 10 हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.
9. 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया. रिहाई के बाद फूल ने बौद्ध धर्म स्वीकार लिया. 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश की भदोही लोकसभा सीट चुनाव जीता और वह संसद तक पहुंच गई.
10. शेर सिंह राणा नाम के एक शख्स ने 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में फूलन की हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार राणा ने बहमई हत्याकांड में मारे गए 22 ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए फूलन देवी की हत्या की थी.
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