जानिए क्या है NRC, जानिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के बारे में...

एनआरसी (NRC) को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था. इसके तहत अगस्त के महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया.

जानिए क्या है NRC, जानिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के बारे में...

NRC को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों की तस्वीर

खास बातें

  • एनआरसी के विरोध में कई जगह प्रदर्शन हो रहा है.
  • एनआरसी की फाइनल लिस्ट में 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है.
  • करीब 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा गया.
नई दिल्‍ली:

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act, CAA) के साथ ही एनआरसी (NRC) यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के खिलाफ भी कई जगह प्रदर्शन हो रहा है. मूल रूप से एनआरसी (NRC) को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था. इसके तहत अगस्त के महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया. एनआरसी की इस फाइनल लिस्ट में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों में से 3.11 करोड़ लोगों को भारत का वैध नागरिक करार दिया गया है, वहीं करीब 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा गया. फाइनल NRC में उन लोगों के नाम शामिल किए गए, जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. इस बात का सत्यापन सरकारी दस्तावेजों के जरिए किया गया. 

क्या है NRC
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता उसे अवैध नागरिक माना जाता है. देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है. NRC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है. इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.

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इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. आपको बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा.

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इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा का अपटेड किया गया. इसके बाद भी भारत में घुसपैठ लगातार जारी रही. असम में वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भारी संख्‍या में शरणार्थियों का पहुंचना जारी रहा और इससे राज्‍य की आबादी का स्‍वरूप बदलने लगा.