UP Board class 10th, 12th Result 2017: टेंशन से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान छात्रों और परिजनों को रखना चाहिए
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् अपनी हाई स्कूल यानि 10वीं और इंटरमीडिएड यानि 12वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजे एक साथ जारी करने जा रहा है. बताया जा रहा है कि बोर्ड द्वारा रिजल्ट दोपर 12 बजे तक घोषित किया जाएगा. रिजल्ट से पहले हर स्टूडेंट को यहीं टेंशन होती है कि इस बाद उसे कितने नंबर मिलेंगे. सिर्फ स्टूडेंट्स ही नहीं उसके घरवाले भी रिजल्ट को लेकर दबाव में रहते है. रिजल्ट आने के बाद किसी को अच्छे नंबर मिलेंगे तो कुछ को निराशा हाथ लगेगी, लेकिन छात्रों को हमेशा इस निराशा से बचकर रहना चाहिए. इसमें उनके परिवार वालों को भी कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए.
रिजल्ट आने के इस दबाव से लेकर रिजल्ट आ जाने के बाद तक कुछ बातों का ध्यान छात्रों और परिजनों को रखना चाहिए, जिससे की छात्रों के बेहतर भविष्य तैयार किए जा सकें-
न बनाएं दबाव
परिणाम आने से पहले परिजनो को चाहिए कि वे बच्चे पर बार बार अच्छे नंबर लाने या न आने पर होने वाली खराब स्थिति का जिक्र न करें. परिजनों को बच्चों में आत्मविश्वास भरना चाहिए. उन पर अच्छे अंक लाने का दबाव देने के बजाए उनसे उनके भविष्य के विकल्पों के बारे में बात करनी चाहिए. ठीक इसी तरह छात्रों को भी मन में अधिक दबाव महसूस करने की जरूरत नहीं है. खुद को यह समझाएं कि परिणा जैसा भी होगा या आया है, आपके लिए कोई न कोई विकल्प तो लाया ही होगा.
UP Board 12th Result 2017: यूपी बोर्ड का रिजल्ट आज होगा जारी, ऐसे चेक करें परिणाम
हताशा कतई जाहिर न करें
आज हर परिजन अपने बच्चे से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं लगा लेता है. ऐसा न करें. ऐसा करके आप बच्चे पर दबाव बढ़ाते हैं. रिजल्ट अगर आपकी उम्मीद जैसा नहीं आया, तो बच्चे को गुस्सा न करें न ही उसे अपनी हताशा जाहिर करें. यह आपके बच्चे को दबाव और तनाव में ला सकती है. इससे वह खुद को कमतर और कमजोर मान सकता है. इसलिए रिजल्ट जैसा भी रहा हो, बच्चे के सामने अत्यधिक हताशा न दिखाएं.
परिणाम के अनुसार प्लान करें
हो सकता है कि परिणाम आपकी इच्छा के अनुसार आए हों. यह तो बहुत ही अच्छी खबर है. लेकिन अगर आपके बच्चे के अंक उस अनुपात में नहीं आए, जिसमें कि आप या खुद बच्चा चाहता था, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं. उसके अंकों और रूचि को ध्यान में रखकर उसके लिए भविष्य प्लान करें.
तुलना न करें
अगर आपके बच्चे के किसी दोस्त के अंक उससे ज्यादा अच्छे आए हैं, तो भी उसकी तुलना कर बच्चे को छोटा या दोयम महसूस न कराएं. हर बच्चे की अपनी क्षमताएं अपने क्षेत्र होते हैं, जिनमें वे अच्छा या बुरा प्रदर्शन करते हैं. इसलिए बच्चे की तुलना कर उसमें इस प्रवृति को पनपने न दें कि कोई उससे ज्यादा बेहतर है या वह किसी से कमतर है...
अहसान न जताएं
अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा पैसा लगाते हैं. वे महंगे से महंगे ट्यूशन या क्लासेज में उनको भेजते हैं. खुद अफॉर्ड कर पाएं या न कर पाएं वे हर हाल में बच्चों की शिक्षा पर अपने बजट से बाहर निकल कर खर्च करते हैं. ऐसे में परिणाम इच्छा के अनुसार न आने पर निराश और हताश होना माता-पिता के लिए स्वाभाविक सी बात है. लेकिन इसका एहसान अपने बच्चे पर दिखाएं. उसे बार बार यह एहसास न दिलाएं कि आपने उस पर कितना पैसा खर्च किया है.
रिजल्ट आने के इस दबाव से लेकर रिजल्ट आ जाने के बाद तक कुछ बातों का ध्यान छात्रों और परिजनों को रखना चाहिए, जिससे की छात्रों के बेहतर भविष्य तैयार किए जा सकें-
न बनाएं दबाव
परिणाम आने से पहले परिजनो को चाहिए कि वे बच्चे पर बार बार अच्छे नंबर लाने या न आने पर होने वाली खराब स्थिति का जिक्र न करें. परिजनों को बच्चों में आत्मविश्वास भरना चाहिए. उन पर अच्छे अंक लाने का दबाव देने के बजाए उनसे उनके भविष्य के विकल्पों के बारे में बात करनी चाहिए. ठीक इसी तरह छात्रों को भी मन में अधिक दबाव महसूस करने की जरूरत नहीं है. खुद को यह समझाएं कि परिणा जैसा भी होगा या आया है, आपके लिए कोई न कोई विकल्प तो लाया ही होगा.
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हताशा कतई जाहिर न करें
आज हर परिजन अपने बच्चे से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं लगा लेता है. ऐसा न करें. ऐसा करके आप बच्चे पर दबाव बढ़ाते हैं. रिजल्ट अगर आपकी उम्मीद जैसा नहीं आया, तो बच्चे को गुस्सा न करें न ही उसे अपनी हताशा जाहिर करें. यह आपके बच्चे को दबाव और तनाव में ला सकती है. इससे वह खुद को कमतर और कमजोर मान सकता है. इसलिए रिजल्ट जैसा भी रहा हो, बच्चे के सामने अत्यधिक हताशा न दिखाएं.
परिणाम के अनुसार प्लान करें
हो सकता है कि परिणाम आपकी इच्छा के अनुसार आए हों. यह तो बहुत ही अच्छी खबर है. लेकिन अगर आपके बच्चे के अंक उस अनुपात में नहीं आए, जिसमें कि आप या खुद बच्चा चाहता था, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं. उसके अंकों और रूचि को ध्यान में रखकर उसके लिए भविष्य प्लान करें.
तुलना न करें
अगर आपके बच्चे के किसी दोस्त के अंक उससे ज्यादा अच्छे आए हैं, तो भी उसकी तुलना कर बच्चे को छोटा या दोयम महसूस न कराएं. हर बच्चे की अपनी क्षमताएं अपने क्षेत्र होते हैं, जिनमें वे अच्छा या बुरा प्रदर्शन करते हैं. इसलिए बच्चे की तुलना कर उसमें इस प्रवृति को पनपने न दें कि कोई उससे ज्यादा बेहतर है या वह किसी से कमतर है...
अहसान न जताएं
अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा पैसा लगाते हैं. वे महंगे से महंगे ट्यूशन या क्लासेज में उनको भेजते हैं. खुद अफॉर्ड कर पाएं या न कर पाएं वे हर हाल में बच्चों की शिक्षा पर अपने बजट से बाहर निकल कर खर्च करते हैं. ऐसे में परिणाम इच्छा के अनुसार न आने पर निराश और हताश होना माता-पिता के लिए स्वाभाविक सी बात है. लेकिन इसका एहसान अपने बच्चे पर दिखाएं. उसे बार बार यह एहसास न दिलाएं कि आपने उस पर कितना पैसा खर्च किया है.
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