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This Article is From May 30, 2016

स्कूल में फेल नहीं करने की नीति पांचवीं कक्षा तक ही लागू करने की सिफारिश

स्कूल में फेल नहीं करने की नीति पांचवीं कक्षा तक ही लागू करने की सिफारिश
नयी शिक्षा नीति तैयार करने के संबंध में गठित समिति ने सुझाव दिया है कि स्कूलों में फेल नहीं करने की नीति पांचवी कक्षा तक ही लागू होनी चाहिए। साथ ही उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत आने की अनुमति दी जानी चाहिए।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित करने के लिए टी एस आर सुब्रमण्यम के नेतृत्व में बनी समिति ने शुक्रवार को 200 पन्नों की अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दी है।

समिति की सिफारिशों में एक महत्वपूर्ण पहलू कोचिंग के उपाचार पर ध्यान केंद्रित करना और यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों के सीखने पर कोई प्रभाव नहीं पड़े।

इसमें ‘फेल नहीं करने’ की नीति की समीक्षा करने का भी सुझाव दिया गया है और छठी कक्षा से परीक्षा लेने का प्रस्ताव किया गया है। शिक्षा के अधिकार कानून में आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए फेल नहीं करने की नीति की बात कही गई है। अगर कोई छात्र पहली बार में पास नहीं होता है, तब उसे परीक्षा में बैठने के दो और मौके दिये जाने चाहिए ।

सूत्रों ने बताया कि समिति ने शिक्षा की गुणवत्ता से लेकर आधारभूत संरचना से जुड़ी चिंताओं पर सुझाव दिये हैं। इसमें एक सुझाव शिक्षा कैडर सेवा गठित करने का है ताकि शिक्षा क्षेत्र में प्रशासनिक मानकों को बेहतर बनाया जा सके।

समिति ने कौशल और व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया है, साथ ही शिक्षा में मूल्यों का समावेश करने की बात कही गई है। इसमें नियामक व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया गया है।

समिति ने परिणाम दस्तावेजों, सिफारिशों तथा विभिन्न विचार विमर्श से प्राप्त सुझवों का अध्ययन किया और विभिन्न हितधारकों के साथ अनेक दौर की बातचीत की और क्षेत्रीय स्तर पर भी विचार-विमर्श किया। समिति ने विभिन्न शिक्षण संस्थानों का दौरा भी किया।

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति बनाने के लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरु की थी। इस प्रक्रिया में 33 थीम पर ऑनलाइन, जमीनी और राष्ट्रीय स्तर पर थीम आधारित विचार-विमर्श किया गया।

नयी शिक्षा नीति पर 26 जनवरी 2015 से 31 अक्टूबर 2015 तक ऑनलाइन विचार-विमर्श किया गया। इसमें 29 हजार से अधिक सुझाव मिले।

सभी 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की ग्राम पंचायतों, ब्लाकों, शहरी स्थानीय निकाय स्तर तक विचार विमर्श की प्रक्रिया मई से अक्टूबर 2015 तक चली। विषय आधारित विचार विमर्श का संचालन मंत्रालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद, शिक्षक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, अनेक केंद्रीय वित्त पोषित विश्वविदयालयों और संस्थानों, स्वायत्त निकायों, संलग्न कार्यालयों द्वारा किया गया।

जुलाई से अक्टूबर 2015 के दौरान विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, उद्योग प्रतिनिधियों, नागरिक समाज के लोगों आदि सहित सभी हितधारकों को विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया गया। सितंबर से अक्टूबर 2015 में सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा क्षेत्रीय बैठकें, पूर्वी, मध्य, उत्तर-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण तथा उत्तर क्षेत्र में बैठकें की गई।

भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति विकसित करने के लिए एक समिति का गठन किया था। पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रामण्यम को समिति का अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पूर्व गृह सचिव सेवाराम शर्मा, गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव सुधीर मनकड तथा एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जे एस राजपूत को समिति का सदस्य बनाया गया था।

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