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This Article is From May 14, 2017

भारतीय आईटी कंपनियों में जारी है छंटनी का दौर, पेशेवरों  के सामने ये हैं विकल्प

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते दायरे, विदेशों में कड़े वर्क परमिट और आईटी कंपनियों की लागत नियंत्रण की कोशिशों के बीच भारत में आईटी पेशेवरों की नौकरी पर तलवार लटकी है. 

भारतीय आईटी कंपनियों में जारी है छंटनी का दौर, पेशेवरों  के सामने ये हैं विकल्प
आईटी कंपनियों में छंटनी का सिलसिला एक-दो साल और जारी रहेगा
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग में डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन एक सामान्य सी बात हो गई है. इसके चलते इन्फोसिस, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा जैसी कंपनियों में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी हो रही है. विशेषज्ञों की मानें तो आईटी कंपनियों में कर्मचारियों को बाहर करने का यह सिलसिला अभी एक-दो साल और जारी रहेगा.

इन 3 वजहों से कर्मियों को थमाई जा रही है ‘पिंक स्लिप’!
  • प्रदर्शन के आकलन की प्रक्रिया के तहत हजारों की संख्या में कर्मचारियों को ‘पिंक स्लिप’ थमाई जा रही है यानी उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. लेकिन माना जा रहा है कि यह लागत नियंत्रण के प्रयास का हिस्सा है, क्योंकि लक्षित बाजारों में संरक्षणवादी कदमों से कंपनियों के मुनाफे पर दबाव पड़ रहा है. 
  • इसके अलावा, अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में कड़ी कार्य परमिट व्यवस्था की वजह से भी भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यातक विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं.
  • आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) में नई प्रौद्योगिकी, रोबोटिक प्रक्रिया आटोमेशन और क्लाउड कंप्यूटिंग की वजह से कंपनियों अब कोई कार्य कम श्रमबल से कर सकती हैं. इसकी वजह से सॉफ्टवेयर कंपनियों को अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना पड़ रहा है.
परफॉर्म/ पेरिश
टीमलीज सर्विसेज की कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं सह संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह ऐसी स्थिति है जबकि उपलब्ध प्रतिभाएं समय के हिसाब में खुद में बदलाव नहीं ला पाईं. इस वजह से कई कर्मचारी आज बेकार हो गए हैं. 

कार्यकारी खोज कंपनी ग्लोबलहंट के प्रबंध निदेशक सुनील गोयल ने कहा, ‘‘उद्योग में प्रत्येक तीन से पांच साल में इस तरह का बदलाव आता है, लेकिन इस बार इसने अधिक प्रभावित किया है क्योंकि अमेरिका ने भी विदेशी आईटी पेशेवरों के लिए अपनी नीति में बदलाव किया है.’’ गोयल ने कहा कि इस तरह का रुख अगले एक-दो साल तक जारी रहेगा. हालांकि, इसके साथ ही वह मानते हैं कि यह आईटी पेशेवरों के लिए खुद का अद्यतन कर नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी को अपनाने का अवसर भी है.

पेशवरों के सामने ये हैं रास्तें
माना जा रहा है कि मुख्य रूप से मैनुअल परीक्षण, प्रौद्योगिकी समर्थन और प्रणाली प्रशासन में कर्मचारियों को ‘पिंक स्लिप’ थमाई जा रही है, क्योंकि इन प्रक्रियाओं का प्रबंधन अब अधिक से अधिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक प्रक्रिया आटोमेशन से हो रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल डोमेन से जुड़े स्पेसिफिक स्किल्स सीखकर आईटी पेशवर खुद को इंडस्ट्री की मांग के हिसाब से 'अपग्रेड' कर सकते हैं. 

प्रतिभा प्रबंधन समाधान प्रदाता केलीओसीजी इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक फ्रांसिस पद्मादन ने कहा कि आईटी कंपनियों में हमें इस तरह का बदलाव देखने को मिलेगा. हालांकि, कितने कर्मचारियोंकी छंटनी होगी इसका आंकड़ा देना मुश्किल है.

एजेंसी से इनपुट
 

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