नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने विचारों से लाखों लोगों को प्रेरित किया था. आज सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) है. नेता जी का जन्म (Subhash Chandra Bose Birthday) 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था. सुभाष चंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे. नेता जी बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थे और देश की आजादी में अपना योगदान देना चाहते थे. 1921 में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई में उतरे सुभाष चंद्र बोस को उनके क्रांतिकारी विचारों के चलते देश के युवा वर्ग का व्यापक समर्थन मिला. जिसके बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) का गठन किया. उन्होंने आजाद हिंद फौज में भर्ती होने वाले नौजवानों को ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा.'' का ओजपूर्ण नारा दिया. सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ने आजाद हिंद फौज के कमांडर की हैसियत से भारत की अस्थायी सरकार बनायी, जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी थी.
'नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1980 तक साधू के वेश में भारत में ही रह रहे थे'
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) 1950 के दशक से लेकर 1980 के दशक के बीच उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में एक गुमनाम साधु के वेश में रह रहे थे. पूर्व पत्रकार अनुज धर की पुस्तक 'व्हाट हैपेंड टू नेताजी?' में बोस के जीवन के रहस्य के फैजाबाद पहलू पर गौर करने से पहले उनकी मौत के तीन प्रमुख सिद्धांतों का ब्योरा है. धर के मुताबिक प्रधानमंत्री के पास एक अति गोपनीय फाइल थी जिसमें बोस का रहस्य छिपा हुआ था. नेताजी से जुड़े रहस्यों पर 15 साल तक छानबीन करने वाले इस लेखक के मुताबिक उस फाइल में यह स्वीकारोक्ति है कि फैजाबाद के साधु भगवनजी असल में बोस थे और इसलिए सरकार ने उनसे संपर्क बनाए रखा था. अनुज धर ने अपनी किताब में दावा किया कि कि भगवनजी के दांत की डीएनए जांच के नतीजे में अधिकारियों ने हेरफेर किया था.
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हिटलर से हुई थी मुलाकात
साल 1942 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ने हिटलर से मुलाकात की थी. लेकिन हिटलर के मन में भारत को आजाद करवाने के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी. हिटलर ने सुभाष को सहायता का कोई स्पष्ट वचन नहीं दिया था.
आजाद हिंद सरकार (Azad Hind Sarkar) में छपा था 1 लाख रुपये का नोट
आजाद हिंद सरकार की अपनी बैंक थी, जिसका नाम आजाद हिंद बैंक था. आजाद हिंद बैंक की स्थापना साल 1943 में हुई थी, इस बैंक के साथ दस देशों का समर्थन था. आजाद हिंद बैंक ने दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये का नोट जारी किया था. एक लाख रुपये के नोट पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी थी.
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1 लाख रुपये का नोट जिस पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी थी.
रहस्यमयी मौत
साल 1945 में 18 अगस्त को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत (Subhash Chandra Bose Death) हो गई थी. लेकिन भारत में बहुत बड़ा तबका ये मानता रहा कि सुभाष बोस जीवित बच निकले थे और वहां से रूस चले गए थे.सुभाष चंद्र बोस की मौत आज तक एक रहस्य की तरह ही है. भारत सरकार ने उनसे जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए कई बार अलग-अलग देश की सरकार से संपर्क किया लेकिन उनके बारे कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित है लेकिन उनकी मौत को लेकर अभी तक कोई साक्ष्य किसी के पास नहीं हैं.
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