जेईई मेन के पीडब्ल्यूडी श्रेणी में शीर्ष रैंक हासिल करने वाले ओजस की कहानी, IIT उनकी पसंद में नहीं शामिल

ओजस माहेश्वरी ने जेईई मेन विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) श्रेणी में शीर्ष रैंक हासिल किया है. वह सुन नहीं सकते हैं. जेईई तक की यात्रा उनके लिए आसान नहीं रही है. उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान मेरे लिए लिप रीड करना मुश्किल हो गया था. क्योंकि सभी ने मास्क पहन रखा था.

जेईई मेन के पीडब्ल्यूडी श्रेणी में शीर्ष रैंक हासिल करने वाले ओजस की कहानी, IIT उनकी पसंद में नहीं शामिल

जेईई मेन के पीडब्ल्यूडी श्रेणी में शीर्ष रैंक हासिल करने वाले ओजस की कहानी, IIT उनकी पसंद में नहीं शामिल

नई दिल्ली:

JEE Main 2022 Toppers: सोमवार को, जैसे ही जेईई मेन रिजल्ट की घोषणा की गई, मुंबई अंधेरी (पूर्व) के ओजस माहेश्वरी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ओजस ने जेईई मेन विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) श्रेणी में शीर्ष रैंक हासिल किया है. मात्र 18 साल के ओजस के लिए यह सबसे बड़ी अचीवमेंट है. ओजस विकलांग हैं, उन्होंने छह से सात साल की उम्र में अपनी सुनने की क्षमता खो दी थी. ठीक एक साल बाद उन्हें अपने गणित और विज्ञान के प्रति लगाव का पता चला. ओजस की मां से यह बात छुपी नहीं रही और जैसे ही उन्हें यह पता चला उन्होंने ओजस से महज 8 साल की उम्र में विभिन्न ओलंपियाड, गणित और विज्ञान प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं की तैयारी करवाना शुरू कर दिया था. ओजस की मां एक ओलंपियाड शिक्षक हैं. 

ओजस के पास नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन (NTSE) के विद्वान और किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KYPY) के शीर्ष रैंक के कई पदकों और ट्राफियां हैं. आईआईटी ओजस की पसंद में शामिल नहीं है, वह खगोल विज्ञान की पढ़ाई करना चाहते हैं. उनकी मां ने इस बारे में कहा, "वह खगोल विज्ञान का अध्ययन करना चाहता था क्योंकि वह उस पर मोहित था लेकिन किसी बिंदु पर, उसने स्विच करने का फैसला किया. हम हमेशा सपोर्टिव रहे हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा सही चुनाव किया है." 

वहीं ओजस ने कहा, "मुझे पता है कि लोग सोचते हैं कि मैं एक बेवकूफ हूं क्योंकि मुझे पढ़ाई, विशेष रूप से गणित और भौतिकी से प्यार है और मैं उनमें बहुत समय बिताता हूं. लेकिन जो लोग मुझे करीब से जानते हैं, वे जानते हैं कि मुझे दोस्तों के साथ मिलना-जुलना और डिनर पर जाना और फुटबॉल भी बहुत पसंद है."

ओजस के रोल मॉडल सुंदर पिचाई और एपीजे अब्दुल कलाम है. 10वीं कक्षा में टॉप करने के बाद ओजस ने एक नियमित जूनियर कॉलेज में दाखिला नहीं लिया बल्कि वे नारायण जूनियर कॉलेज में गए. जहां ओजस ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ट्रेनिंग ली और रोजाना 10 घंटे से अधिक घंटे पढ़ाई की. उनकी विकलांगता दोनों कानों में 70 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से पढ़ाई में काफी बाधाएं पैदा हुई हैं खासकर महामारी के दौरान.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

उन्होंने बताया, "यह समझाना मुश्किल है कि यह दैनिक दिनचर्या में कैसे बाधा डालता है, भले ही किसी को समय के साथ इसकी आदत हो जाए. लेकिन महामारी में काफी परेशानी हुई. लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान सबने जब मास्क पहना तो मेरे लिए लिप रीड करना मुश्किल हो गया था. मेरे लिए होंठ पढ़ना संभव नहीं था क्योंकि सभी ने मास्क पहन रखा था. कई बार मैंने शिक्षकों से कक्षाओं में पढ़ाते समय मास्क उतारने का अनुरोध किया.' 'भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहता हैं. किसी समस्या का समाधान ढूंढना मुझे बहुत पसंद है.