प्रतीकात्मक तस्वीर
नयी दिल्ली:
देशभर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिला जल्द ही साझा प्रवेश परीक्षाओं (कॉमन एंट्रेस एग्जाम) के आधार पर हो सकता है। यह परीक्षा भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमसी) आयोजित करेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईएमसी अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो परिषद को मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर साझा प्रवेश परीक्षा लेने के लिए अधिकृत करेगा।
2016 से लागू हो सकती है साझा प्रवेश परीक्षा
अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो साल 2016 से साझा प्रवेश परीक्षा को लागू किया जा सकता है। इस संबंध में एक मसौदा प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किए जाने से पहले संबद्ध मंत्रालयों के बीच वितरित किया जा चुका है।
एमसीआई ने साझा मेडिकल प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव पर पिछले साल अक्टूबर में अपनी सहमति दे दी थी और मामला मंजूरी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया था।
एमसीआई एक वैधानिक निकाय है जो चिकित्सा पाठ्यक्रम के संचालन के लिए जिम्मेदार है और देश में चिकित्सा योग्यता का अनुमोदन करता है।
मेडिकल छात्रों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा का कदम 2009 में पहली बार उठाया गया था जब डॉ. केतन देसाई एमसीआई के अध्यक्ष थे।
उच्चतम न्यायालय ने जून 2013 में कहा था कि एमबीबीएस, बीडीएस और स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा अवैध है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईएमसी अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो परिषद को मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर साझा प्रवेश परीक्षा लेने के लिए अधिकृत करेगा।
2016 से लागू हो सकती है साझा प्रवेश परीक्षा
अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो साल 2016 से साझा प्रवेश परीक्षा को लागू किया जा सकता है। इस संबंध में एक मसौदा प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किए जाने से पहले संबद्ध मंत्रालयों के बीच वितरित किया जा चुका है।
एमसीआई ने साझा मेडिकल प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव पर पिछले साल अक्टूबर में अपनी सहमति दे दी थी और मामला मंजूरी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया था।
एमसीआई एक वैधानिक निकाय है जो चिकित्सा पाठ्यक्रम के संचालन के लिए जिम्मेदार है और देश में चिकित्सा योग्यता का अनुमोदन करता है।
मेडिकल छात्रों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा का कदम 2009 में पहली बार उठाया गया था जब डॉ. केतन देसाई एमसीआई के अध्यक्ष थे।
उच्चतम न्यायालय ने जून 2013 में कहा था कि एमबीबीएस, बीडीएस और स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा अवैध है।
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