मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोरोना वायरस की महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर छात्रों का प्लेसमेंट प्रभावित नहीं हो. मानव संसाधन विकास मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये 23 आईआईटी के प्रमुखों के साथ संवाद में उन्हें इस उद्देश्य के लिये एक कार्यबल गठित करने का निर्देश दिया.
निशंक ने आईआईटी के प्रमुखों से कहा, "इन संस्थानों में प्लेसमेंट को लेकर एक कार्यबल गठित किया जाना चाहिए जो विभिन्न कंपनियों के साथ सम्पर्क में रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में विगत वर्षो के स्तर से कम प्लेसमेंट न हो."
उन्होंने कहा, "लॉकडाउन के दौरान छात्रों की मानसिक चुनौतियों से जुड़े विषयों पर भी ध्यान देने की जरूरत है और इस संबंध में इन सभी संस्थानों में एक हेल्पलाइन स्थापित की जाए. प्रत्येक संस्थानों में एक कार्यबल गठित हो जिसमें मनोवैज्ञानिक शामिल हों. "
He added that this time could be used to make online education more innovative, institutions should leverage the courses on @SWAYAMmhrd/#SWAYAMPrabha and work on the credit transfer mechanism.
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) April 2, 2020
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, "मैं यह भी विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि कोई भी संस्थान, छात्र, फैकल्टी कोरोना वायरस से सम्बंधित शोध करना चाहते हैं या कर रहें हैं तो हमारा मंत्रलाय पूरे सहयोग के साथ उनके साथ खड़ा है . हमारे आईआईटी जैसे उत्कृष्ट संस्थान अपने आसपास के लोगों में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं."
उन्होंने कहा कि आज स्वयंसेवी संगठनों, निजी कंपनियों और सार्वजनिक संगठनों को साथ मिलकर रचनात्मक गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. मंत्री ने संवाद के दौरान आईआईटी से जुड़े कर्मियों एवं शिक्षकों के परिवार और सभी विद्यार्थियों का कुशलक्षेम के बारे में भी जानकारी ली. निशंक ने कहा कि सभी आईआईटी संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि वे अपने आसपास के महाविद्यालयों और इंजीनियरिंग कॉलेजों को ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण दे. उन्होंने कहा कि गुणवत्ता परक शिक्षा " कहीं पर, कहीं भी" के मंत्र को लेकर हमारी सरकार काम कर रही है .
निशंक ने कहा कि आज पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है और इसलिए वर्तमान स्थिति को देखते हुए शिक्षा को नया आकार, नया स्वरूप दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की चुनौती के दृष्टिगत सहयोगात्मक शोध को भी बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चाहे सस्ती लागत वाली किट जांच हो, वेंटिलेटर निर्माण की बात हो या फिर कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का विषय हो या दवा, टीका विकसित करने की बात हो. हमारे आईआईटी जैसे उत्कृष्ट संस्थान बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं.
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