
लॉकडाउन के इस दौर में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (KGMU) के मानसिक रोग विभाग की हेल्पलाइन पर आजकल जो सवाल पूछे जा रहे हैं वह कुछ इस तरह के हैं- "डॉक्टर साहब रात में नींद नहीं आ रही..", "डॉक्टर साहब पत्नी बहुत झगड़ती है..", "डॉक्टर साहब प्राइवेट नौकरी है, लॉकडाउन के कारण छूट तो नही जाएगी", "डॉक्टर साहब लॉकडाउन में शराब बंद होने से मेरे पति बहुत चिड़चिड़े हो गए हैं और घर में बहुत झगड़ा करते हैं, क्या करूं"? वगैरह... वगैरह.
KGMU के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी के अनुसार, लॉकडाउन के कारण घर में बैठे लोग तनाव ग्रस्त होकर चिड़चि़ड़े हो रहे हैं और उन्हें तरह-तरह के भय सता रहे हैं.
डॉक्टर त्रिपाठी ने बातचीत में कहा कि KGMU के मानसिक रोग विभाग में दो वरिष्ठ डॉक्टर सुबह नौ बजे से चार बजे तक लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उन्हें समाधान सुझाते हैं.
लॉकडाउन के दौरान लोगों की ऐसी तमाम समस्याओं को देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक काउंसलिंग सेंटर बनाया है. इसी तरह KGMU के मानसिक रोग विभाग में मानसिक रोगियों के लिये एक हेल्पलाइन स्थापित की गई है जहां फोन पर लोगों की मानसिक उलझनों को सुलझाया जा रहा है.
लखनऊ विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर पल्लवी भटनागर ने बताया कि उनके काउंसलिंग सेंटर में रोजाना कम से कम 50 लोगों के फोन आ रहे हैं और ज्यादातर के मन में लॉकडाउन को लेकर एक डर बैठा है कि यह आखिर कब तक चलेगा और इसके बाद क्या होगा?
प्रोफेसर भटनागर का मानना था कि लॉकडाउन का समय उन लोगों के लिए तो कठिन है ही जो पहले से तनाव या मानसिक रोगों से ग्रस्त है बल्कि उन लोगों के लिए भी काफी कठिन है जो सुबह से लेकर शाम तक दफ्तरों में काम करते थे लेकिन अब घरों में कैद हो गए हैं.
वह कहती हैं कि लोगो को घर में अपने को व्यस्त रखना चाहिए वरना लॉकडाउन बढ़ने पर उनके सामने और समस्यायें खड़ी हो सकती हैं. प्रोफेसर भटनागर के अनुसार, "हम लोग काउंसलिंग तो करते हैं लेकिन उस पर अमल करना उस व्यक्ति के अपने हाथ में होता है."
KGMU के वरिष्ठ प्रो हरजीत सिंह कहते हैं, ''कई लोगों को यह भी डर सता रहा है कि दुनिया के लिए दहशत का पर्याय बने कोरोना का संक्रमण काल लंबा खिंच सकता है और वे भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं. कई लोग कोरोना के भय से दिन में कई कई बार नहा रहे हैं, अपने घर के दरवाजों के हैंडल और नलों की टोंटी को कई कई बार सैनेटाइज कर रहे हैं."
प्रोफेसर सिंह की सलाह है कि इस बेमानी डर से बचने के लिये ऐसे लोग अपने मन को शांत रखें और किसी प्रकार का चिंताजनक विचार अपने मन में न आने दें. सिंह के अनुसार, उन्हें समझना होगा कि कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो अंत में उसे समाप्त होना ही है.
KGMU के प्रो त्रिपाठी कहते है, ''लोगों को लॉकडाउन के समय में भी अपनी दिनचर्या को नियमित रखना चाहिए जैसा कि वे आम दिनों में करते हैं. शारीरिक व्यायाम करें. घर से यदि काम कर रहे हैं तो परिवार के साथ समय का ध्यान रखें. समय है तो अपनी नींद अवश्य पूरी करें जिसकी चाह आपको पहले सदैव रहती थी. जरूरतमंद लोगों की मदद करें क्योंकि उससे आपको जो खुशी मिलेगी वो आपको कभी मानसिक तनाव नहीं होने देगी."
डॉक्टर पल्लवी कहती हैं, ''अपने उन शौक को जिनको समय की कमी के कारण पहले आप नहीं कर पाते थे जैसे पेंटिंग, खाना बनाना, डायरी लिखना आदि अब उन पर समय व्यतीत करें. कुछ नया सीखने का प्रयास मस्तिष्क को नई ऊर्जा प्रदान करता है. अगर घर में पेड़-पौधे और कोई पालतू जानवर है तो उनकी देखभाल करें यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है.''
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