नयी दिल्ली:
सिर्फ 24 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों के करियर के लिए वित्तीय रूप से तैयारी करते है। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इन अभिभावकों में से ज्यादातर परंपरागत विकल्पों मसलन मेडिसिन और इंजीनियरिंग से लेकर गैर परंपरागत विकल्पों मसलन फैशन डिजाइनिंग और शेफ के रूप में अपने बच्चों का करियर बनाने को भविष्य के लिए धन बचाते हैं।
अवीवा इंडिया की यह रिपोर्ट सात शहरों - मुंबई, पुणे, बेंगलुर, कोलकाता, नयी दिल्ली, हैदराबाद तथा चेन्नई में 11,300 अभिभावकों के जवाब पर आधारित है। इसमें यह तथ्य सामने आया है कि आज के बच्चों के सपनों तथा इसके लिए उनके माता-पिता की वित्तीय तैयारियों में काफी अंतर है।
अवीवा इंडिया की मुख्य ग्राहक, बाजार एवं डिजिटल अधिकारी अंजली मल्होत्रा कहती हैं, ‘‘भारत में बच्चे बड़े सपने देखते हैं, लेकिन अभिभावकों इसके लिए तैयारी में पीछे रह जाते हैं। हालांकि, बच्चों की शिक्षा के लिए बचत उनकी प्राथमिकता होती है, लेकिन वास्तव में बचत प्रक्रिया के लिए कोई योजना नहीं बनाई जाती।’’ रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि बच्चों की महत्वाकांक्षाएं कुछ परंपरा से हटकर करियर विकल्पों की ओर जा रही हैं, वहीं अभिभावकों की इसके लिए तैयारियां कमजोर हैं।
कॉरपोरेट क्षेत्र में काम करने वाले अभिभावक अपने बच्चों के लिए बचत करने की अधिक सोचते हैं। इस क्षेत्र के 31 प्रतिशत अभिभावक बच्चों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बचत करते हैं। 24 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी और 22 प्रतिशत बिजनेसमैन ऐसा करते हैं। शहरों की बात की जाए तो दिल्ली के 29 प्रतिशत अभिभावक बच्चों के सपने को पूरा करने के लिए बचत करते हैं। इसका राष्ट्रीय औसत 24 प्रतिशत ही है। हैदराबाद में सबसे अधिक 38 प्रतिशत अभिभावक बच्चों के लिए वित्तीय तैयारी करते हैं, जबकि कोलकाता में मात्र 11 प्रतिशत अभिभावक ही ऐसा करते हैं।
अवीवा इंडिया की यह रिपोर्ट सात शहरों - मुंबई, पुणे, बेंगलुर, कोलकाता, नयी दिल्ली, हैदराबाद तथा चेन्नई में 11,300 अभिभावकों के जवाब पर आधारित है। इसमें यह तथ्य सामने आया है कि आज के बच्चों के सपनों तथा इसके लिए उनके माता-पिता की वित्तीय तैयारियों में काफी अंतर है।
अवीवा इंडिया की मुख्य ग्राहक, बाजार एवं डिजिटल अधिकारी अंजली मल्होत्रा कहती हैं, ‘‘भारत में बच्चे बड़े सपने देखते हैं, लेकिन अभिभावकों इसके लिए तैयारी में पीछे रह जाते हैं। हालांकि, बच्चों की शिक्षा के लिए बचत उनकी प्राथमिकता होती है, लेकिन वास्तव में बचत प्रक्रिया के लिए कोई योजना नहीं बनाई जाती।’’ रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि बच्चों की महत्वाकांक्षाएं कुछ परंपरा से हटकर करियर विकल्पों की ओर जा रही हैं, वहीं अभिभावकों की इसके लिए तैयारियां कमजोर हैं।
कॉरपोरेट क्षेत्र में काम करने वाले अभिभावक अपने बच्चों के लिए बचत करने की अधिक सोचते हैं। इस क्षेत्र के 31 प्रतिशत अभिभावक बच्चों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बचत करते हैं। 24 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी और 22 प्रतिशत बिजनेसमैन ऐसा करते हैं। शहरों की बात की जाए तो दिल्ली के 29 प्रतिशत अभिभावक बच्चों के सपने को पूरा करने के लिए बचत करते हैं। इसका राष्ट्रीय औसत 24 प्रतिशत ही है। हैदराबाद में सबसे अधिक 38 प्रतिशत अभिभावक बच्चों के लिए वित्तीय तैयारी करते हैं, जबकि कोलकाता में मात्र 11 प्रतिशत अभिभावक ही ऐसा करते हैं।
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