जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास के छात्र-छात्राओं ने कहा है कि वे इतिहासकार रोमिला थापर से बायो डाटा मांगने के प्रशासन के कदम से ‘‘आहत'' हैं. उन्होंने कहा कि थापर का विश्वविद्यालय में होना जेएनयू के लिए प्रतिष्ठा की बात है. जेएनयू प्रशासन ने प्रोफेसर एमेरिटा के रूप में सेवा निरंतरता के लिए आकलन के वास्ते थापर से बायो डाटा जमा करने को कहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कदम की कई तबकों की ओर से आलोचना की जा रही है. जवाहर लाल नेहरू शिक्षक संघ ने प्रशासन के इक कदम को ‘‘राजनीति से प्रेरित'' करार दिया जिसके बाद विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार ने कहा कि 11 अन्य से भी बायो डाटा जमा करने को कहा गया है.
विश्वविद्यालय ने कहा था कि यह थापर की ‘‘उपलब्धता'' और ‘‘विश्वविद्यालय के साथ उनका जुड़ाव'' जारी रखने के लिए उनकी ‘‘इच्छा'' जानने के उद्देश्य से किया गया, न कि उनकी सेवा निरंतरता के आकलन के लिए. पूर्व और वर्तमान छात्रों को लगता है कि विश्वविद्यालय बायो डाटा मांगकर शिक्षाविदों को ‘‘अपमानित'' कर रहा है. पीएचडी छात्र नयन धवल ने कहा कि विश्वविद्यालय में रोमिला थापर का होना जेएनयू के लिए प्रतिष्ठा की बात है. उन्होंने प्राचीन इतिहास में सराहनीय योगदान दिया है.
उन्होंने कहा कि थापर से बायो डाटा मांगना महात्मा गांधी से भारत के लिए उनके योगदान के बारे में पूछने जैसा है. हाल में छात्र राजद से चुनाव लड़ने वाले रिषिराज यादव ने कहा कि थापर से बायो डाटा मांगे जाने से वह ‘‘आहत'' महसूस कर रहे हैं. यह शिक्षाविदों का अपमान है.
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