इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (Allahabad University) की कार्य परिषद ने इस विश्वविद्यालय का नाम नहीं बदलने की संस्तुति सरकार से की है. कार्य परिषद के निर्णय के संबंध में सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को विश्वविद्यालय द्वारा ईमेल भेजकर अवगत कराया गया.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने कार्य परिषद के सदस्यों को पत्र भेजकर इस विश्वविद्यालय का नाम बदलकर प्रयागराज विश्वविद्यालय करने के प्रस्ताव पर उनकी राय मांगी थी.
उन्होंने बताया कि कार्य परिषद के 15 में से 12 सदस्यों ने ही जवाब दिया और इन सभी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम नहीं बदलने की संस्तुति की है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कार्य परिषद की राय से सोमवार को अवगत करा दिया गया.
मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से कार्य परिषद की बैठक नहीं की जा सकी और प्रत्येक सदस्य को ईमेल भेजकर 11 मई तक अपनी राय से अवगत कराने को कहा गया था क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 'रिमाइंडर' भेजकर 11 मई तक जवाब देने को विश्वविद्यालय को कहा था.
उन्होंने बताया कि चार पांच महीने पहले ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और तत्कालीन मंडलायुक्त आशीष गोयल की ओर से विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर विश्वविद्यालय का नाम बदलने के बारे में कार्य परिषद की राय के बारे में पूछा गया था.
इन पत्रों के जरिए विश्वविद्यालय को बताया गया था कि नगर के प्रबुद्ध वर्ग के लोग विश्वविद्यालय का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के पक्ष में हैं. अतः कार्य परिषद इस संबंध में अपनी राय से सरकार को अवगत कराए.
हालांकि, तत्कालीन कुलपति रतन लाल हांगलू के इस्तीफा देने और थोड़े-थोड़े समय के लिए कार्यवाहक कुलपति बनने के बाद अचानक लॉकडाउन की घोषणा से कार्य परिषद की बैठक नहीं हो सकी जिससे यह मामला लंबित रह गया.
गौरतलब है कि कुम्भ 2019 से पूर्व ही प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था.
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