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PhD के लिए अब नौकरी छोड़ने की जरूरत नहीं, इस यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ नया प्रोग्राम, जानिए डिटेल्स

Phd Course: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए भी पीएचडी का रास्ता खोल दिया है. अब कम से कम 5 साल का अनुभव रखने वाले लोग नौकरी या बिजनेस के साथ पार्ट-टाइम पीएचडी कर सकेंगे. इनके लिए अलग फीस स्ट्रक्चर रखा गया है.

PhD के लिए अब नौकरी छोड़ने की जरूरत नहीं, इस यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ नया प्रोग्राम, जानिए डिटेल्स
नई दिल्ली:

Allahabad University PhD Admission 2025: अगर आप लंबे समय से Phd करने का सपना देख रहे हैं, लेकिन नौकरी या काम की वजह से समय नहीं निकाल पा रहे, तो आपके लिए खुशखबरी है. अब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आपके लिए बड़ा मौका लेकर आया है. विश्वविद्यालय  (AU Phd Admission 2025) ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत वर्किंग प्रोफेशनल्स भी पार्ट-टाइम पीएचडी कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए आपको सामान्य छात्रों से ज्यादा फीस देनी होगी, बदले में आपको अपने प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस को रिसर्च के साथ जोड़ने का मौका भी मिलेगा। तो चलिए जानते हैं इसके लिए क्या करना होगा, कब से अप्लाई कर सकते हैं.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पीएचडी की कितनी सीटें

इस साल 43 विषयों में कुल 873 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इनमें से 534 सीटें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कैंपस और 339 सीटें एफिलिएटेड कॉलेजों में हैं. आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है, जो गुरुवार 25 सितंबर से शुरू हो चुकी है और 22 अक्टूबर तक चलेगी.

कौन कर सकता है अप्लाई

इस स्पेशल पीएचडी प्रोग्राम में वही लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनके पास कम से कम 5 साल का वर्क एक्सपीरियंस है. चाहे आपने प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर में काम किया हो, सरकारी नौकरी की हो, किसी पब्लिक सेक्टर यूनिट, इंडस्ट्री या रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में काम किया हो, आप इसके लिए योग्य हैं. अच्छी बात यह है कि इसके लिए UGC-NET क्लियर करना जरूरी नहीं है. हालांकि, आपके आवेदन को डॉक्टोरल प्रोग्राम कमेटी (DPC) देखेगी और फिर कुलपति की मंजूरी मिलने के बाद ही एडमिशन दिया जाएगा.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में Phd की फी के बारे में जाने लें

  • रजिस्ट्रेशन फीस- 25,000 रुपए

  • प्री-पीएचडी कोर्स फीस- 20,000 रुपए
  • एनुअल फीस- 50,000 रुपए
  • लैब डेवलपमेंट फीस(साइंस सब्जेक्ट्स के लिए)- 10,000 रुपए
  • थीसिस सबमिशन फीस- 30,000 रुपए

क्या होगा फायदा

इस कदम से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने रिसर्च के दायरे को और बड़ा कर दिया है. अब वो लोग भी एकेडमिक रिसर्च में हिस्सा ले पाएंगे, जिनके पास सालों का व्यावहारिक अनुभव है. इससे न सिर्फ रिसर्च की क्वालिटी बेहतर होगी बल्कि रिसर्च का दायरा और विविधता भी बढ़ेगी. हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि इस कैटेगरी के छात्रों को किसी तरह की फेलोशिप नहीं मिलेगी.

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