नई दिल्ली:
स्कूलों में निर्धारित पाठ्य पुस्तकों की विषय वस्तु की जांच की जरूरत पर चर्चा के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने निजी प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने में अपनी अक्षमता जाहिर की है. मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि निजी प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए कोई तंत्र नहीं है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पास खुद से संबद्ध स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकों को निर्धारित करने या सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि सरकार सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तकों को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही दृढ़ है.
मंत्री का बयान ऐसे वक्त में आया है जब शिक्षा विशेषज्ञ बच्चों को पढ़ाई जा रही विषय वस्तु की छानबीन की कमी के मुद्दे को उठा रहे हैं.
चौथी कक्षा की पर्यावरण विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में छात्रों को एक प्रयोग के तहत ‘बिल्ली के एक बच्चे को मार डालो’ का दिया गया सुझाव सोशल मीडिया पर फैल गया जिसके चलते प्रकाशक को पिछले महीने बाजार से इस पुस्तक को वापस लेना पड़ा था.
वहीं, एक हालिया घटना में 12 वीं कक्षा की समाजशास्त्र की पुस्तक में इस बात का जिक्र किया गया था कि किसी लड़की की कुरूपता और शारीरिक अशक्तता देश में दहेज की एक मुख्य वजह है.
उन्होंने कहा कि सरकार सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तकों को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही दृढ़ है.
मंत्री का बयान ऐसे वक्त में आया है जब शिक्षा विशेषज्ञ बच्चों को पढ़ाई जा रही विषय वस्तु की छानबीन की कमी के मुद्दे को उठा रहे हैं.
चौथी कक्षा की पर्यावरण विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में छात्रों को एक प्रयोग के तहत ‘बिल्ली के एक बच्चे को मार डालो’ का दिया गया सुझाव सोशल मीडिया पर फैल गया जिसके चलते प्रकाशक को पिछले महीने बाजार से इस पुस्तक को वापस लेना पड़ा था.
वहीं, एक हालिया घटना में 12 वीं कक्षा की समाजशास्त्र की पुस्तक में इस बात का जिक्र किया गया था कि किसी लड़की की कुरूपता और शारीरिक अशक्तता देश में दहेज की एक मुख्य वजह है.
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