NEET पास करने वाली एक छात्र जेबा खान, जिनके पिता एक डॉक्टर हैं, उन्होंने ANI को बताया कि COVID-19 महामारी के चरम के दौरान डॉक्टरों की कमी को देखने के बाद उन्होंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा को क्रैक करने का संकल्प लिया.
उन्होंने कहा, "मुझे बचपन से ही स्पष्ट था कि मैं अपने पिता की तरह एक डॉक्टर बनूंगी. मैं अपने पिता को जरूरतमंद लोगों के लिए काम करते हुए देखकर ही बड़ी हुई हूं. हालांकि, NEET को पास करना आसान काम नहीं था, लेकिन पढ़ाई और प्लानिंग के सही शेड्यूल ने मुझे इस परीक्षा को पास करने में मदद की. हमने देखा कि कैसे COVID-19 संकट के दौरान डॉक्टरों की कमी ने हमें प्रभावित किया. इस वजह से मैं इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए फोकस्ड थी."
एक अन्य छात्र सैफ आसिफ जोगल, जो कैटरिंग सर्विस प्रदान करने वाले के बेटे हैं, उन्होंने नीट की परीक्षा में 591/720 स्कोर हासिल किए हैं. उन्होंने कहा कि वह एक डॉक्टर बनना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने देखा है कि कैसे गरीब लोग इलाज कराने के लिए संघर्ष करते हैं.
उन्होंने आगे कहा, "अपने बचपन के दौरान, मैंने अपने माता-पिता और कमजोर आर्थिक वाले लोगों को इलाज के लिए संघर्ष करते देखा है. भविष्य में इन सभी लोगों के लिए काम करने के उद्देश्य से मैंने डॉक्टर बनने का फैसला किया."
सैफ आसिफ जोगल ने कहा, "मुझे अपने माता-पिता की पूरी सपोर्ट है. गोवंडी कई नकारात्मक कारणों के लिए जानी जाती है, लेकिन मैंने खुद को इससे दूर रखा. मैंने अपने फ्रेंड सर्कल को भी सीमित रखा, ताकि मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकूं और दूसरों लोगों से दूर रह सकूं."
डॉ. जाहिद खान, जिन्होंने गोवंडी क्षेत्र में डॉक्टरों का एक स्थानीय संघ बनाया है उन्होंने कहा, "ज्यादातर डॉक्टर इस क्षेत्र में आने से बचते हैं, क्योंकि इसे "बुरा" माना जाता है. इसलिए हमने अपने खुद के बच्चों को न केवल डॉक्टर बल्कि इंजीनियर, वकील आदि बनने के लिए भी प्रेरित करने का फैसला किया. हमारा संघ हर साल एक वार्षिक समारोह आयोजित करता है, जहां हम अभिभावकों को शिक्षित करते हैं और हाई स्कूल में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को सम्मानित करते हैं."
डॉ. जाहिद खान ने आगे कहा, "छह छात्रों ने नीट परीक्षा पास की है और उन्हें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिल गया है. अगर हमें सरकार से अच्छा समर्थन प्राप्त होता है, तो NEET पास करने वाले छात्रों की संख्या भविष्य में प्रति वर्ष 6 से 18 हो सकती है."
इस बीच महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि इन क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "स्लम क्षेत्र के उज्ज्वल छात्रों के लिए कई सरकारी स्कीम पहले से ही मौजूद हैं. इन छह छात्रों में से हमने पहले ही दो छात्रों को एक सरकारी स्कोलरशिप दी है. हमें उन पर गर्व है."