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This Article is From Nov 09, 2020

मिलिए लखनऊ की बेटी से, प्रियंका चोपड़ा और काजल अग्रवाल के लिए कलीरे बनाकर हुईं फेमस

जानें- लखनऊ की रहने वाली मृणालिनी चंद्रा के बारे में, जिन्होंने करियर की शुरुआत के दौरान वेस्ट मटेरियल से बनाई थी ज्वैलरी. प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर और काजल अग्रवाल के लिए कलीरे बनाकर हुईं फेमस. दिलचस्प है उनकी कहानी.

मिलिए लखनऊ की बेटी से, प्रियंका चोपड़ा और काजल अग्रवाल के लिए कलीरे बनाकर हुईं फेमस
नई दिल्ली:

किसी ने सही कहा है, अपने पैशन के लिए अगर जी जान से मेहनत की जाए तो एक दिन फल जरूर मिलता है, आज हम बात कर रहे हैं लखनऊ के मिडिल क्लास फैमिली से आने वाली मृणालिनी चंद्रा के बारे में. जो इन दिनों कलीरे डिजाइन को लेकर चर्चा में हैं.

हाल फिलहाल में उन्होंने फिल्म 'सिंघम' में अजय देवगन की एक्ट्रेस रहीं काजल अग्रवाल की शादी के लिए कलीरे डिजाइन किए हैं. आपको बता दें, वह प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर और करीना कपूर के लिए भी कलीरे डिजाइन कर चुकी हैं. आइए जानते हैं कौन हैं मृणालिनी चंद्रा और कैसे आया कलीरे डिजाइन करने का आइडिया. NDTV से खास बातचीत में उन्होंने अपने सफर के बारे में काफी कुछ बताया. उनकी कहानी से हर किसी को प्रेरणा मिलेगी.

जब पिताजी ने दिखाया भरोसा

मृणालिनी चंद्रा एक मिडिल क्लास से फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. वह उन लड़कियों में से हैं जो शुरू से अपने दम पर कुछ करना चाहती थी. बता दें, वह अपने घर की पहली ऐसी लड़की हैं जिन्होंने दूसरे शहर में जाकर पढ़ाई की. उन्होंने साल 2012 में दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से ग्रेजुएशन की. उन्होंने अपने डिपार्टमेंट में टॉप किया था. जिसके बाद उन्हें स्कॉलरशिप मिली.

उन्हें इटली के मिलान शहर में स्थित 'क्रिएटिव अकेडमी' में एडमिशन मिला. ये अकेडमी ज्वैलरी डिजाइन के लिए काफी फेमस है.बता दें, पूरी दुनियाभर से सिर्फ 25 बच्चों का सिलेक्शन होता है. जिसमें भारत से केवल मृणालिनी चंद्रा का नाम भी शामिल था. साल 2013 में उन्होंने अपनी मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की और भारत लौट आईं.

उनके इस सफर में उनके पिता जी का काफी योगदान रहा. उनके पिता रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं. जहां आज भी देश में कई परिवार अपनी बेटियों को उनके मन-मुताबिक काम करने की आजादी नहीं देते, वहीं मृणालिनी चंद्रा के पिता ने अपनी बेटी पर न सिर्फ भरोसा किया, बल्कि हर कदम पर साथ भी दिया.

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(मृणालिनी चंद्रा)

जब आया पहला लैक्मे फैशन वीक (LFW) का ऑफर

साल 2014 मृणालिनी चंद्रा के लिए जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. इसी साल उन्होंने कलीरे डिजाइन करने का आइडिया आया. NDTV से बात करते हुए उन्होंने बताया. जब मैं इटली से वापिस आई तो पहला ज्वैलरी पीस घर पर डिजाइन किया था.

एक दिन न्यूज पेपर में लैक्मे फैशन वीक का एड देखकर अपना ज्वैलरी का डिजाइन भेजा. जिसके बाद मेरा सिलेक्शन हो गया. वो मेरी जिंदगी का खुशी का दिन था.  

ऐसे हुई थी कलीरे डिजाइन करने की शुरुआत

मृणालिनी चंद्रा ने कहा, ये मेरे पहले पहला शो था, जिसका नाम था 'Have a Seat' था. ऐसे में कुछ आइडिया नहीं था कैसे क्या करना है. उस दौरान मेरे माता- पिता ने काफी सपोर्ट किया था.मेरा शो ज्वैलरी डिजाइन पर आधारित था. ऐसे में मैंने मॉडल के फिनाले लुक के लिए कलीरे डिजाइन किए थे. ये कलीरे कम से कम 2 फुट के थे. जिसका रिस्पांस काफी अच्छा मिला था.

मृणालिनी ने कहा, मॉडल के कलीरे लुक को इतना पसंद किया गया, जिसके बाद मैंने कलीरे डिजाइन करने की शुरुआत कर दी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कलीरे डिजाइन करूंगी, लेकिन काम करते-करते रास्ते खुलते गए और काफी शो मिलने लगे.

उन्होंने कहा,  मैंने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष देखा है, पहले शो के दौरान मेरे पास पैसे नहीं थे, उस समय दोस्तों से काफी मदद मिली. जिसकी मैं जिंदगी भर शुक्रगुजार रहूंगी.

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(पहले लैक्मे फैशन वीक के दौरान मॉडल के साथ मृणालिनी चंद्रा)

जब घर के लोगों ने निभाई टीम की भूमिका

मृणालिनी ने बताया, लैक्मे फैशन वीक के बाद काफी ऑफर मिलने शुरू हो गए थे. उस समय मेरे पास कोई टीम नहीं थी, ऐसे में मेरे माता- पिता और भाई ने मेरी टीम की भूमिका निभाई. कमाल की बात ये है कि मेरे घर में कोई भी ज्वैलरी डिजाइन नहीं करता है, लेकिन फिर भी मुझे हर कदम पर परिवार का सपोर्ट मिला.

शुरुआत के दिनों में मेरी मां जहां भी मेरा काम होता वहां मेरे साथ जाती थी. वहीं जब मेरे छोटे भाई ने एक वेबसाइट बनाई, उसके बाद कई लोगों से काम के ऑफर आने शुरू हो गए.

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(मृणालिनी चंद्रा अपने माता-पिता के साथ)

जब वेस्ट मटेरियल से बनाई खूबसूरत ज्वैलरी

मृणालिनी ने कहा, मेरे पास न कोई फैक्टरी थी और न ही कोई कारीगर. ऐसे में काम की शुरुआत अपने घर की छत से की. उन्होंने कहा, ज्वैलरी को बनाने के लिए कच्चे माल की आवश्यता होती है, इसके लिए भी मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी. शुरुआत में आप सोने की धातू से ज्वैलरी डिजाइन नहीं कर सकते, क्योंकि वह काफी महंगा आता है. ऐसे में मुझे एक डीलर ने कहा, मेरा एक कारीगर है जो टांके जोड़ता है. तुम पत्रा (मेटल की शीट) लेकर आओ, फिर ज्वैलरी डिजाइन करना.  

मृणालिनी ने कहा, मुझे नहीं मालूम था कि पत्रा कहां मिलेगा, लेकिन मैं ये जानती थी कि वेस्ट मटेरियल से भी एक सुंदर ज्वैलरी बनाई जा सकती है. जिसके बाद मैंने कई जगहों से कई पत्रे (मेटल की शीट) जमा किए. फिर मैंने कारीगर से पूछा, यदि पत्रे की शीट मेल्ट करके शीट बना ली जाए तो क्या आप इस पर पर काम करेंगे? इस बात पर कारीगर ने हां कर दिया. ऐसे में हमने वेस्ट मटेरियल से कई खूबसूरत ज्वैलरी डिजाइन की.

कैसे तैयार किए गए अभिनेत्रियों के कलीरे

मृणालिनी ने कहा, हमने सबसे पहले सोनम कपूर के लिए कलीरे डिजाइन किए थे. जिसके बाद प्रियंका चोपड़ा के लिए और अब काजल अग्रवाल के लिए. उन्होंने कहा, एक कलीरे के जोड़े को तैयार होने में दो से ढाई महीने का समय लगता है, अगर काजल अग्रवाल के कलीरे की बात की जाए तो उन्होंने मोतियों वाला कलीरा चाहिए था.

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(काजल अग्रवाल के कलीरे)

उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए हमने कलीरे को डिजाइन किया. कलीरे डिजाइन करते हुए हमने इनकी लवस्टोरी को भी ध्यान में रखा. ऐसे में हमने 'लव लॉकडाउन' कलीरा तैयार किया. वहीं प्रियंका चोपड़ा के कलीरे भी बेहद खास तरीके से बनाए गए थे.

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(प्रियंका चोपड़ा के कलीरे)

मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करते हैं पति

जिस फील्ड में मृणालिनी काम करती है वहां मानसिक तनाव होना लाजिमी है. ऐसे में उनके पति का पूरा सपोर्ट उन्हें मिलता है. मृणालिनी ने बताया 'मैंने अपनी पति से सुलझा हुआ इंसान नहीं देखा, वह मुझे हर कदम पर सपोर्ट करते हैं, उन्होंने ही मुझे सलाह दी कि जो भी ज्वैलरी मैं डिजाइन करती हूं उन्हें खुद पहन कर प्रमोट करूं, ताकि दुनिया मेरे काम को पहचानें.  मेरे पति हमेशा मुझे आगे बढ़ने का बढ़ावा देते हैं.

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(मृणालिनी चंद्रा अपने पति के साथ)

टीम का मिलता है काफी सपोर्ट

मृणालिनी ने कहा, मेरी सफलता के पीछे मेरी टीम का काफी योगदान है. बिना टीम के आप कुछ भी नहीं कर सकते. मैं अक्सर डिजाइन तैयार करती हूं, लेकिन उसे कैसे फाइनल टच देना है ये मेरी टीम संभालती है. मेरा मानना है, यदि आप अपनी टीम की इज्जत करते हैं आप एक सफल इंसान हैं'.

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