क्लाइमेट चेंज (Climate Change) के कारण पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान को लेकर 16 बच्चों ने सरकारों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UN) में शिकायत दर्ज करवाई है. इन 16 बच्चों द्वारा दायर की गई पिटीशन में लिखा है कि दुनिया के 5 देशों तुर्की, अर्जेंटीना, फ्रांस, जर्मनी और ब्राजील ने जलवायु संकट को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाकर मानवाधिकारों का हनन किया है. जिन 16 बच्चों ने शिकायत की है उनमें ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के साथ उत्तराखंड की रिद्धिमा पांडे (Ridhima Pandey) भी शामिल हैं. 11 साल की रिद्धिमा पर्यावरण एक्टिविस्ट की बेटी हैं. रिद्धिमा कहती हैं, “मैं एक बेहतर भविष्य चाहती हूं. मैं अपना भविष्य बचाना चाहती हूं. मैं सभी बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के सभी लोगों के भविष्य को बचाना चाहती हूं. childrenvsclimatecrisis.org वेबसाइट पर रिद्धिमा (Ridhima Pandey) के बारे में लिखा है:
''छह साल पहले, रिद्धिमा पांडे अपने परिवार के साथ नैनीताल से हरिद्वार जाकर बस गईं. हर साल जुलाई में, कावड़ यात्रा निकाली जाती है. कावड़ का आयोजन गंगा नदी के पास होता है. लेकिन हाल के समय में बढ़ते तापमान की वजह से गर्मिंयों और सर्दियों दोनों ही मौसम बेहद गरम हो गए हैं. बढ़ते तापमान ने सीधे तौर पर गंगा नदी को प्रभावित किया और हाल ही में आईं बाढ़ों के चलते उसके जल स्तर में कमी आ गई. इस बदलाव की वजह से सालाना धार्मिक कांवड़ यात्रा को चुनौती मिलने लगी जो कि गंगा के इर्द-गिर्द ही घूमती है. कई बार भारी बारिश के कारण गंगा खतरे के निशान तक पहुंच जाती है, जिससे बाढ़ का खतरा पैदा हो जाता है और बारिश के बढ़ते तूफान की वजह से स्थानीय बुनियादी ढांचा चौपट हो जाता है. 2013 में, रिद्धिमा और उनके परिवार ने हरिद्वार में ऐसी ही विनाशकारी बारिश देखी जिससे भयंकर बाढ़ आई और कई लोगों की जानें चलीं गईं.''
बता दें कि रिद्धिमा को भारत के जंगलों की रक्षा का शौका है. 2017 में, सिर्फ नौ साल की उम्र में रिद्धिमा पांडे ने अपने अभिभावकों की मदद से जलवायु परिवर्तन और संकट से उबरने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में रिद्धिमा ने कहा था कि भारत प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे कमजोर देशों में से एक है. रिद्धिमा ने कोर्ट से मांग की थी कि औद्योगिक परियोजनाओं का आकलन किया जाये. कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना बनायी जाए. इसके लिए जुर्माने का प्रावधान किया जाए.
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