महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्र 4 मार्च से धरने पर हैं. छात्रों की मांग है कि सीटेट (CTET), यूजीसी नेट (UGC NET) और अन्य परीक्षाओं में बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स (B.Ed M.Ed Intergrated Course) को योग्यता के रूप में शामिल किया जाए. छात्रों का कहना है कि वे सीटेट, यूजीसी नेट और कई अन्य परीक्षाओं में नहीं शामिल हो पा रहे हैं. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ने 2016 में बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स शुरू किया. बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स 3 साल को होता है. छात्रों का कोर्स खत्म होने में करीब 2 महीने रह गए हैं. एक छात्र ने NDTV को बताया कि जिन परीक्षाओं में बैठने के लिए बीएड मांगा जाता है, उन परीक्षाओं के लिए भी हमारा आवेदन रिजक्ट हो जाता है. क्योंकि हम बीएड वाले नहीं बल्कि बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स वाले हैं जो कि 3 साल का कोर्स है.
छात्रों का कहना है कि छात्र अपने ही राज्य में नौकरी के लिए दर दर की ठोकर खा रहे है क्योंकि हिंदी विश्वविद्यालय से किया गया बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स मान्य नही है. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पीआरओ ने NDTV को बताया कि सीटीईटी और यूजीसी नेट में बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स को मान्यता दिलाने के लिए विश्वविद्यालय काम कर रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से एक प्रतिनिधि को सीबीएसई और एनटीए भेजा गया है.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स को जल्द से जल्द योग्यता दिलाने के प्रयास कर रहा है. बता दें कि NCTE के रिकमेंडेशन पर साल 2016 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा बीएड-एमएड एकीकृत कोर्स की शुरुआत हुई. ये कोर्स 3 साल का होता है.
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