नई दिल्ली:
कक्षा के अंदर इंटरनेट का प्रयोग परीक्षा में छात्रों के अंकों को प्रभावित कर सकता है. एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इससे केवल औसत छात्र ही नहीं बल्कि बुद्धीमान छात्रों के प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है. अमेरिका में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) के शोधकतार्आ ने परिचयात्मक मनोविज्ञान पाठ्यक्रम के दौरान लैपटॉप के इस्तेमाल का अध्ययन किया और पाया कि छात्र कक्षा के कामों से इतर अन्य चीजों के लिए औसत 37 मिनट इंटरनेट का प्रयोग करते हैं.
छात्र सोशल मीडिया पर, मेल पढ़ने, कपड़े आदि खरीदने और वीडियो देखने में अधिकतर समय व्यतीत करते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है. एमएसयू में मनोविज्ञान की एसोसीएट प्रोफेसर एवं इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका सुजेन राविजा ने कहा, इंटरनेट का इस्तेमाल छात्रों की वाषिर्क परीक्षा के नतीजों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है जो उनकी बुद्धिमता और प्रेरणा को भी छीन लेता है.
राविजा ने कहा, कक्षा के कामों से इतर अन्य चीजों के लिए छात्रों का इंटरनेट से यह हानिकारक रिश्ता, छात्रों को कक्षा में लैपटॉप के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने की योजना पर भी सवाल खड़े करता है . एमएसयू में मनोविज्ञान की एसोसीएट प्रोफेसर एवं अध्ययन की सह-लेखिका किम्बर्ली फेन ने कहा कि शोधकर्ताओं ने एक घंटे 50 मिनट के लेक्चर का आयोजन किया था जिसमें 507 छात्रों ने हिस्सा लिया. इनमें से अध्ययन में 127 छात्रों ने हिस्सा लिया. अध्ययन साइकोलॉजिकल साइंस नामक एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया.
छात्र सोशल मीडिया पर, मेल पढ़ने, कपड़े आदि खरीदने और वीडियो देखने में अधिकतर समय व्यतीत करते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है. एमएसयू में मनोविज्ञान की एसोसीएट प्रोफेसर एवं इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका सुजेन राविजा ने कहा, इंटरनेट का इस्तेमाल छात्रों की वाषिर्क परीक्षा के नतीजों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है जो उनकी बुद्धिमता और प्रेरणा को भी छीन लेता है.
राविजा ने कहा, कक्षा के कामों से इतर अन्य चीजों के लिए छात्रों का इंटरनेट से यह हानिकारक रिश्ता, छात्रों को कक्षा में लैपटॉप के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने की योजना पर भी सवाल खड़े करता है . एमएसयू में मनोविज्ञान की एसोसीएट प्रोफेसर एवं अध्ययन की सह-लेखिका किम्बर्ली फेन ने कहा कि शोधकर्ताओं ने एक घंटे 50 मिनट के लेक्चर का आयोजन किया था जिसमें 507 छात्रों ने हिस्सा लिया. इनमें से अध्ययन में 127 छात्रों ने हिस्सा लिया. अध्ययन साइकोलॉजिकल साइंस नामक एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया.
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