आईआईटी-खड़गपुर
कोलकाता:
छात्रों के बीच खुशी का स्तर और उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ाने तथा परामर्शकर्ताओं के साथ उन्हें बातचीत के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आईआईटी-खड़गपुर (आईआईटी-केजीपी) कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. आईआईटी-केजीपी में परामर्श केंद्र की संकाय प्रभारी प्रोफेसर संगीता दास भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आईआईटी-केजीपी के परामर्श केंद्र ने छात्रों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण, उनमें कृतज्ञता, दयालुता, पर्यावरण के प्रति अनुकूलता की भावना बढ़ाने तथा निराशा एवं अवसाद के किसी भी बिंदु तक पहुंचने से पहले छात्रों की मदद करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रमों तैयार किये हैं.’’ प्रोफेसर संगीता के नेतृत्व में ये कार्यक्रम क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक सलाहकार विकसित कर रहे हैं.
इस तरह के कुछ कार्यक्रम आईआईटी-केजीपी के रेखी सेंटर फॉर साइंस ऑफ हैपीनेस में पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं जिनमें खुशी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताया गया है.
अप्रैल में आयोजित हो रहे कार्यक्रम ‘लाइफ अंडर कैनोपी’ में छात्रों को प्रकृति से जोड़ने, अपने परिवेश के प्रति जागरूक बनाने और अपनी नियमित दिनचर्या या शौक से परे कुछ समय निकालकर परिसर में आस पास मौजूद विशिष्ट पेड़ों का पता लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है.
संगीता ने कहा, ‘‘पेड़-पौधे नरमी एवं लचीलापन का सबसे बड़ा उदाहरण हैं और यह कार्यक्रम छात्रों को नरमी एवं विनम्रता अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है जो अवसाद, चिंता तथा अन्य मानसिक स्वास्थ्य से संबद्ध मुद्दों से निपटने में अहम कारक है.’’ ‘31 डेज ऑफ ग्रैटीट्युड’ नामक ऐसा ही एक कार्यक्रम जनवरी में जबकि फरवरी में ‘28 थिंग्स ऑफ रैंडम एक्ट ऑफ काइंडनेस’ तथा मार्च में ‘व्हाट आर यू प्राउड ऑफ’ नामक कार्यक्रम आयोजित हुआ था.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस तरह के कुछ कार्यक्रम आईआईटी-केजीपी के रेखी सेंटर फॉर साइंस ऑफ हैपीनेस में पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं जिनमें खुशी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताया गया है.
अप्रैल में आयोजित हो रहे कार्यक्रम ‘लाइफ अंडर कैनोपी’ में छात्रों को प्रकृति से जोड़ने, अपने परिवेश के प्रति जागरूक बनाने और अपनी नियमित दिनचर्या या शौक से परे कुछ समय निकालकर परिसर में आस पास मौजूद विशिष्ट पेड़ों का पता लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है.
संगीता ने कहा, ‘‘पेड़-पौधे नरमी एवं लचीलापन का सबसे बड़ा उदाहरण हैं और यह कार्यक्रम छात्रों को नरमी एवं विनम्रता अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है जो अवसाद, चिंता तथा अन्य मानसिक स्वास्थ्य से संबद्ध मुद्दों से निपटने में अहम कारक है.’’ ‘31 डेज ऑफ ग्रैटीट्युड’ नामक ऐसा ही एक कार्यक्रम जनवरी में जबकि फरवरी में ‘28 थिंग्स ऑफ रैंडम एक्ट ऑफ काइंडनेस’ तथा मार्च में ‘व्हाट आर यू प्राउड ऑफ’ नामक कार्यक्रम आयोजित हुआ था.
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