फाइनल ईयर एग्जाम (Final Year Exam 2020) कैंसिल करने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है. छात्र यूजीसी (UGC) से एग्जाम रद्द करने की मांग कर रहे हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) से भी एग्जाम रद्द करने की मांग की जा चुकी है. सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस के दौर में एग्जाम को सुसाइड बताकर कैंपेन भी चलाया जा चुका है. अब इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से भी फाइनल ईयर के एग्जाम रद्द कराने की मुहिम शुरू की गई है. ज्वाइंट फोरम फॉर मूवमेंट ऑन एजुकेशन (JFME) ने एग्जाम रद्द कराने के लिए ऑनलाइन पिटीशन कैंपेन का शुरुआत की है. Change.org पर छात्रों से ऑनलाइन पिटीशन (Online Petition) पर साइन कराए जा रहे हैं. एक हजार डिजिटल सिग्नेचर होने के बाद ये पिटीशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी जाएगी और एग्जाम रद्द कराने की मांग की जाएगी.
याचिका (पिटीशन) में कोरोनावायरस के दौर में एग्जाम कराने को लेकर यूजीसी (UGC Guidelines) की रिवाइज्ड गाइडलाइंस को इलॉजिकल बताया गया है. पिटीशन में लिखा गया है, ''कोरोनावायरस के मद्देनजर एग्जामिनेशन और अकेडमिक कैलेंडर पर यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस और मूल्यांकन का जो तरीका बताया गया है वो अतथर्किक है.''
याचिका में ये भी कहा गया है कि कोरोनावायरस महामारी के अलावा हाल ही में देश के कई हिस्सों में आई बाढ़ से बिजली जैसी कई समस्या और पैदा हो गई हैं, जो ऑनलाइन एग्जाम (Online Exams) में एक और बड़ी मुश्किल है.
एग्जाम रद्द कराने का समर्थन करने वाली इस याचिका में ये भी कहा गया है कि फाइनल ईयर के छात्र पहले से ही कई किस्म के औपचारिक मूल्यांकन से गुजर चुके हैं, कुल मूल्यांकन का महज छोटा हिस्सा ही बाकी रह गया है.
क्या हैं यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के लिए सितंबर तक एग्जाम कराने के लिए कहा है. फाइनल ईयर के एग्जाम ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से किए जा सकते हैं. यूजीसी की नई गाइडलाइंस में ये भी बताया गया है कि बैक-लॉग वाले छात्रों को एग्जाम देना अनिवार्य होगा. वहीं, अन्य जो स्टूडेंट्स सितंबर की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे तो यूनिवर्सिटी उन स्टूडेंट्स के लिए बाद में स्पेशल परीक्षाएं कराएगी.
नेता भी कर रहे हैं एग्जाम रद्द करने की मांग
यूजीसी की ये गाइडलाइन्स आने के बाद से लगातार इसका विरोध किया जा रहा है. छात्रों से लेकर नेताओं तक यूजीसी (UGC) के फैसले का विरोध कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर एग्जाम रद्द करने की मांग कर चुके हैं. साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी एग्जाम का विरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं. शिवसेना की यूथ विंग युवा सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर एग्जाम कराने के फैसले को चुनौती दी है. आदित्य ठाकरे ने कहा है कि कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है, इसे देखते हुए यूजीसी को फाइनल ईयर के एग्जाम स्थगित कर देने चाहिए.
इस पूरे विवाद के बीच यूजीसी ने बताया है कि 450 से ज्यादा यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से फाइनल ईयर के एग्जाम करा लिए हैं या कराने की योजना बना रहे हैं. दरअसल, जब एग्जाम का विरोध किया गया तो यूजीसी ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से एग्जाम कराने को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी.
इस मसले पर 22 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी से स्पष्ट करने के लिए कहा है क्या फाइनल ईयर के एग्जाम बहुविकल्पीय प्रश्न, खुले विकल्प, असाइनमेंट और प्रेजेंटेशन के आधार पर कराए जा सकते हैं? दिल्ली हाई कोर्ट में अब इस केस की सुनवाई 24 जुलाई को होगी.
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