Final Year Exams 2020: कोरोना वायरस महामारी के बीच यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करना एक बड़ा मुद्द बना हुआ है. सितंबर के अंत तक देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा (Final Year Exams) करवाने के यूजीसी (UGC) के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई. याचिकर्ता की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि अप्रैल के महीने में जारी हुई गाइडलाइन्स को यूजीसी (UGC) ने जुलाई के महीने में बदल दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि यूजीसी को ऐसा करने का अधिकार है और वो ऐसा कर सकते हैं.
इस पर सिंघवी ने कहा कि जुलाई में जारी हुई गाइडलाइन्स अप्रैल वाली गाइडलाइन्स से भी ज्यादा सख्त हैं. उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा कि देश में कई सारे ऐसे विश्विद्यालय हैं, जहां ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं. सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि यूजीसी की गाइडलाइन्स (UGC Guidelines) में परीक्षाएं ऑफलाइन देने का भी विकल्प है. इसपर सिंघवी ने कहा कि लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे. उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा. सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि ये फैसला तो छात्रों के हित में ही दिखाई दे रहा है. फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बीते दिन सुप्रीम कोर्ट (SC) में अपना जवाब दाखिल किया था, जिसमें कहा गया कि फ़ाइनल ईयर की परिक्षाएं (Final Year Exams) 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मक़सद छात्रों का भविष्य संभालना है, ताकि छात्रों के अगले साल की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. आगे कहा गया कि टर्मिनल वर्ष के दौरान अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षाएं आयोजित कर के उनके द्वारा अध्ययन किए गए "विशेष इलेक्टिव पाठ्यक्रमों” का परीक्षण करना आवश्यक है. यूजीसी ने अपने जवाब में याचिकर्ताओं और विभिन्न राज्य सरकार की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किया था. UGC ने कोर्ट से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग हलफनामा में की थी. UGC ने कहा था कि टर्मिनल परीक्षा का आयोजन एक "समय-संवेदनशील" मुद्दा है और HRD के दिशा- निर्देशों का पालन करके विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद ये परीक्षाएं कराने निर्णय लिया गया था.
वहीं, पिछली सुनवाई में देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने UGC को परीक्षा रद्द करने/ स्थगित करने पर जवाब देने के लिए कहा था. UGC ने कोर्ट में कहा था कि अधिकांश जगह परीक्षाएं हो चुकी हैं या होने वाली हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना को लेकर छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की अपील की गई है. युवा सेना की तरफ से कहा गया है कि देश में कोरोना के कारण स्थिति बिगड़ रही है और यह परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल नहीं है. इसके साथ ही याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी किए गए यूजीसी के दिशा निर्देशों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई. 6 जुलाई को जारी हुए यूजीसी ( UGC)) के दिशानिर्देशों में सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया था.
याचिकर्ताओं में COVID-19 पॉजिटिव का एक छात्र भी शामिल है. छात्र ने कहा, "ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID-19 पॉजिटिव हैं. ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है."
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