नयी दिल्ली:
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कहा है कि जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र-शिक्षक अनुपात तय मानकों के अनुरूप नहीं है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा वेतनमानों और शिक्षकों की योग्यता संबंधी मानकों का पालन न करने को भी नियमों का उल्लंघन माना जाएगा. दिशा-निर्देशों की अनदेखी करने के दोषी तकनीकी संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया निलंबित कर दी जाएगी या सीटों की संख्या में कटौती कर दी जाएगी.
हालिया बैठक में, एआईसीटीई ने तकनीकी संस्थानों के अनुदानों की मंजूरी के लिए नए नियमों को स्वीकार किया था. एआईसीटीई से रजिस्टर्ड इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या तीन हजार से ज्यादा है.
एआईसीटीई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जो कॉलेज छात्र-शिक्षक अनुपात को तय मानकों के अनुरूप नहीं रख रहे हैं, उन्हें दंडात्मक कार्रवाई झेलनी होगी. इस कार्रवई में अतिरिक्त सीटों की मंजूरी के आवेदन को निलंबित किया जाना और पहले से मंजूर सीटों की संख्या में कटौती शामिल है.’’
एडमिशन प्रक्रिया की जा सकती है सस्पेंड और खत्म की जा सकती है कोर्स की मान्यता
एआईसीटीई के दिशानिर्देशों के अनुसार, जो संस्थान नियमों का पालन नहीं कर रहे होंगे, उनके खिलाफ एक साल के ऐकेडमिक कोर्स में प्रवेश को निलंबित करना और संस्थान या उस कोर्स की मान्यता वापस लेना दोनों ही शामिल हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘जो संस्थान शिक्षकों और अन्य कर्मियों को नियमित रूप से वेतन नहीं दे रहे और दो शिफ्टों में रहने वाले जो कॉलेज समय का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके अलावा 12 माह से अधिक समय तक तय वेतनमानों या शिक्षकों के लिए तय योग्यताओं का पालन न करने पर भी जुर्माना लगेगा.’’ दूसरी शिफ्ट 50 प्रतिशत अतिरिक्त शिक्षकों के साथ तय समय यानी दोपहर एक बजे से रात नौ बजे तक चलनी चाहिए और इसके लिए औचक निरीक्षण हो सकता है.
एआईसीटीई के एक अधिकारी ने कहा कि समय और फैकल्टी सदस्यों की संख्या में कोई भी उल्लंघन होने पर कोर्स को बंद किया जा सकता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हालिया बैठक में, एआईसीटीई ने तकनीकी संस्थानों के अनुदानों की मंजूरी के लिए नए नियमों को स्वीकार किया था. एआईसीटीई से रजिस्टर्ड इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या तीन हजार से ज्यादा है.
एआईसीटीई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जो कॉलेज छात्र-शिक्षक अनुपात को तय मानकों के अनुरूप नहीं रख रहे हैं, उन्हें दंडात्मक कार्रवाई झेलनी होगी. इस कार्रवई में अतिरिक्त सीटों की मंजूरी के आवेदन को निलंबित किया जाना और पहले से मंजूर सीटों की संख्या में कटौती शामिल है.’’
एडमिशन प्रक्रिया की जा सकती है सस्पेंड और खत्म की जा सकती है कोर्स की मान्यता
एआईसीटीई के दिशानिर्देशों के अनुसार, जो संस्थान नियमों का पालन नहीं कर रहे होंगे, उनके खिलाफ एक साल के ऐकेडमिक कोर्स में प्रवेश को निलंबित करना और संस्थान या उस कोर्स की मान्यता वापस लेना दोनों ही शामिल हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘जो संस्थान शिक्षकों और अन्य कर्मियों को नियमित रूप से वेतन नहीं दे रहे और दो शिफ्टों में रहने वाले जो कॉलेज समय का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके अलावा 12 माह से अधिक समय तक तय वेतनमानों या शिक्षकों के लिए तय योग्यताओं का पालन न करने पर भी जुर्माना लगेगा.’’ दूसरी शिफ्ट 50 प्रतिशत अतिरिक्त शिक्षकों के साथ तय समय यानी दोपहर एक बजे से रात नौ बजे तक चलनी चाहिए और इसके लिए औचक निरीक्षण हो सकता है.
एआईसीटीई के एक अधिकारी ने कहा कि समय और फैकल्टी सदस्यों की संख्या में कोई भी उल्लंघन होने पर कोर्स को बंद किया जा सकता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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