दिल्ली विश्वविद्यालय
नयी दिल्ली:
प्रवेशार्थियों के कई कॉलेजों में दाखिला हासिल कर लेने पर रोक लगाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) विद्यार्थियों से प्रवेश के समय अपने मूल प्रमाणपत्र (ऑरिजनल डॉक्यूमेंट्स) जमा करने के लिए कह सकता है।
पहले विद्यार्थी प्रमाणपत्रों की फोटोकॉपी का उपयोग कर डीयू के विभिन्न कॉलेजों में दाखिला ले सकते थे और जब वे अंतत: उपलब्ध विकल्पों में किसी एक का चयन करते थे तब वहां मूल प्रमाणपत्र जमा करा सकते थे। इससे होता यह था कि जब तक वे बेहतर कॉलेज को लेकर अगली सूची में कट ऑफ के मापदंड को पूरा करने या फिर अपनी पसंद के विषय को चुनने का इंतजार करते थे तबतक वे सीटें (अन्य विद्यार्थियों के लिए) बंद रहती थीं।
विश्वविद्यालय ने प्रवेश नीति तैयार करने के लिए विज्ञान, वाणिज्य और कला संकायों के डीन, नौ कॉलेजों के प्राचार्यों और कार्यकारी एवं अकादमिक परिषदों के सदस्यों को मिलाकर 24 सदस्यीय समिति बनायी है। यह नीति इस माह के आखिर तक अधिसूचित की जाएगी।
समिति ने कुलपति से मूल प्रमाणपत्र ले लेने की सिफारिश की है। कुलपति इस सत्र के वास्ते प्रवेश नीति पर निर्णय लेंगे।
समिति के सदस्य नचिकेता सिंह ने कहा, ‘‘इस चलन को खत्म करने के लिए हमने मूल प्रमाणपत्र ले लेने का फैसला किया है। यदि अगली कट ऑफ सूची में किसी उम्मीदवार को उसकी पसंद का कॉलेज मिल जाता है तो वह उस दाखिले को रद्द कराने के बाद ही प्रमाणपत्र वापस ले सकता है। ऐसे में प्रवेश प्रक्रिया के आखिर तक वह सीट बंद नहीं रहेगी।’’
जब उनसे पूछा गया कि क्या पिछले कॉलेज से प्रमाणपत्र वापस लेने में देरी से उम्मीदवार को अगले संस्थान में दाखिले का मौका गंवाना नहीं पड़ सकता है, तो उन्होंने कहा कि प्रवेश के लिए तीन दिन का समय होता है जो प्रवेशपत्र वापस लेने और दूसरा दाखिला लेने के लिए पर्याप्त है।
डीयू में मई में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।
पहले विद्यार्थी प्रमाणपत्रों की फोटोकॉपी का उपयोग कर डीयू के विभिन्न कॉलेजों में दाखिला ले सकते थे और जब वे अंतत: उपलब्ध विकल्पों में किसी एक का चयन करते थे तब वहां मूल प्रमाणपत्र जमा करा सकते थे। इससे होता यह था कि जब तक वे बेहतर कॉलेज को लेकर अगली सूची में कट ऑफ के मापदंड को पूरा करने या फिर अपनी पसंद के विषय को चुनने का इंतजार करते थे तबतक वे सीटें (अन्य विद्यार्थियों के लिए) बंद रहती थीं।
विश्वविद्यालय ने प्रवेश नीति तैयार करने के लिए विज्ञान, वाणिज्य और कला संकायों के डीन, नौ कॉलेजों के प्राचार्यों और कार्यकारी एवं अकादमिक परिषदों के सदस्यों को मिलाकर 24 सदस्यीय समिति बनायी है। यह नीति इस माह के आखिर तक अधिसूचित की जाएगी।
समिति ने कुलपति से मूल प्रमाणपत्र ले लेने की सिफारिश की है। कुलपति इस सत्र के वास्ते प्रवेश नीति पर निर्णय लेंगे।
समिति के सदस्य नचिकेता सिंह ने कहा, ‘‘इस चलन को खत्म करने के लिए हमने मूल प्रमाणपत्र ले लेने का फैसला किया है। यदि अगली कट ऑफ सूची में किसी उम्मीदवार को उसकी पसंद का कॉलेज मिल जाता है तो वह उस दाखिले को रद्द कराने के बाद ही प्रमाणपत्र वापस ले सकता है। ऐसे में प्रवेश प्रक्रिया के आखिर तक वह सीट बंद नहीं रहेगी।’’
जब उनसे पूछा गया कि क्या पिछले कॉलेज से प्रमाणपत्र वापस लेने में देरी से उम्मीदवार को अगले संस्थान में दाखिले का मौका गंवाना नहीं पड़ सकता है, तो उन्होंने कहा कि प्रवेश के लिए तीन दिन का समय होता है जो प्रवेशपत्र वापस लेने और दूसरा दाखिला लेने के लिए पर्याप्त है।
डीयू में मई में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।
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