खास बातें
- दिल्ली हाईकोर्ट ने एमफिल और पीएचडी का रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया.
- दिव्यांग श्रेणी के स्टूडेंट्स के लिए पांच फीसदी सीटें हैं.
- मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने याचिका पर सुनवाई की.
नई दिल्ली: दिल्लीहाई कोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग श्रेणी के स्टूडेंट्स के लिए नहीं भरी जा सकी पांच फीसदी सीटों को छोड़कर मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए एमफिल और पीएचडी कोर्सेज में एडमिशन के लिए रिजल्ट घोषित करें. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बैंच ने कहा कि उसने पहले समूची प्रक्रिया पर नहीं बल्कि एमफिल और पीएचडी कोर्सेज में सिर्फ दिव्यांगा श्रेणी के स्टूडेंट्स के लिए नहीं भरी जा सकी पांच फीसदी सीटों के लिए एडमिशन पर रोक लगाई थी.
पीठ ने कहा, 'आपने रिजल्ट क्यों नहीं घोषित किया है. हमने यूनिवर्सिटी को अन्य रिजल्ट घोषित करने से नहीं रोका था. आप रिजल्ट घोषित करने के लिए बाध्य हैं. अधिकारियों को तत्काल रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया जाता है.' हाईकोर्ट नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एडमिशन पॉलिसी को चुनौती दी गई है.
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याचिका में कहा गया है कि एडमिशन पॉलिसी में इंटरव्यू को 100 फीसदी महत्व दिया गया है, जो उचित नहीं है.
शोध के विभिन्न क्षेत्रों में करियर बनाने के इच्छुक कई स्टूडेंट्स ने हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर किया. उन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के लिए एमफिल और पीएचडी में एडमिशन और इंटरव्यू के रिजल्ट घोषित करने में देरी करने के जेएनयू के फैसले को चुनौती दी.
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जेएनयू की तरफ से केंद्र सरकार की वकील मोनिका अरोड़ा ने कोर्ट को सूचित किया कि 2018 में एडमिशन का रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है और अधिकारी अदालत के पास रिजल्ट लेकर आए हैं. इस पर अदालत ने यूनिवर्सिटी से एडमिशन के लिए रिजल्ट घोषित करने को कहा है.
(इनपुट- भाषा)