प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति व नालंदा विश्वविद्यालय का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि बिहार में गौरव का इतिहास रहा है, यहां हमने नालंदा यूनिवर्सिटी का पुर्ननिर्माण किया है. नालंदा यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर से एक बार सदियों पुरानी उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा.
उन्होंने कहा, "नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, नालंदा स्पिरिट को लेकर बड़े विश्वास के साथ विश्व की ज्ञान की परंपराओं को नई चेतना देने का काम करना होगा..." प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति पर कई राज्यों ने अच्छे कदम उठाए हैं. इसके कारण 21वीं सदी के अनुरूप अपनी शिक्षा व्यवस्था को जो हम बल देना चाहते हैं और विकसित भारत के लिए जिस प्रकार से मानव समूह को तैयार करना चाहते हैं, उसमें नई शिक्षा नीति की बड़ी भूमिका है.
प्रधानमंत्री ने देश के सभी शिक्षण संस्थानों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा के कारण हमारे देश के टैलेंट के आगे रुकावट नहीं आनी चाहिए. शिक्षा नीति ने मातृभाषा पर बल दिया है. भाषा अवरोध नहीं होनी चाहिए. मातृभाषा का समर्थन हमारे देश के युवा, गरीब मां के बेटे को भी सपने पूरे करने की ताकत देता है. मातृभाषा पर हमें बल देना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा कि हमें नई ऊंचाइयों, नए जोश के साथ आगे बढ़ाना है. जो हो गया है, हम उसका संतोष मानकर बैठने वाले लोग नहीं है, यह हमारे संस्कार में नहीं है. हम नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं. विकास को समृद्धि को साकार करने के लिए, संकल्प को लेकर जीवन खपाने को हम अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं, देशवासियों का स्वभाव बनाना चाहते हैं.
हम स्किल इंडिया प्रोग्राम को बहुत व्यापक रूप से इस बार लेकर आए हैं. इस बजट में इंटर्नशिप पर भी हमने बल दिया है, ताकि हमारे नौजवानों को एक अनुभव मिले. बाजार में उनकी ताकत दिखाई दे. मैं इस प्रकार से इसके लिए युवाओं को तैयार करना चाहता हूं. प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की परिस्थिति को देखते हुए भारत का स्किल मैनपॉवर जो है, ग्लोबल जॉब मार्केट में हम उस सपने को लेकर आगे चल रहे हैं.
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